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Monday 3 December 2018 01:30:08 PM
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग ने उर्दू के प्रख्यात विद्वान एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के पूर्व उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शारिब रूदौलवी के सम्मान में लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में ‘जश्न-ए-शारिब’ का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूपमें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, न्यायमूर्ति शबीबुल हसनैन, उर्दू अंजुमन जर्मनी के अध्यक्ष प्रोफेसर आरिफ नक़वी, एलयू के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, विख्यात शायर एवं गीतकार डॉ हसन कमाल, अवधनामा ग्रुप के वकार रिज़वी, उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अब्बास रज़ा नैय्यर और प्रोफेसर शारिब रूदौलवी के पूर्व विद्यार्थी भी शामिल हुए। राज्यपाल ने प्रोफेसर शारिब रूदौलवी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह सुखद संयोग है कि उनका सत्कार समारोह उनके पढ़ाये हुए छात्र कर रहे हैं, कम लोगों का ऐसा भाग्य होता है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि प्रोफेसर शारिब रूदौलवी उर्दू साहित्य के लिए एक शानदार हस्ताक्षर हैं, वे स्वयं लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं, लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र कैसे होते हैं, उसका एक रूप शारिब साहब हैं। राज्यपाल ने कहा कि मैं प्रोफेसर शारिब साहब को पहले तो नहीं जानता था, उनसे मेरी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! के उर्दू अनुवाद के सिलसिले में निकटता बढ़ी। उन्होंने कहा कि पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! उन्हें अनेक लोगों से जोड़ा है। राज्यपाल ने कहा कि विद्वान व्यक्ति कितना विनम्र हो सकता है, प्रोफेसर शारिब उसका उदाहरण हैं, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को बताने के लिए यदि दो शब्दों में कहा जाए तो वे सभ्यता की प्रतिमूर्ति हैं। न्यायमूर्ति शबीबुल हसनैन ने कहा कि प्रोफेसर शारिब रूदौलवी के व्यक्तित्व और उनकी सादगी ने दूसरों को सदैव आकर्षित किया है, उन्होंने कभी जताया ही नहीं कि वे इतने बड़े विद्वान हैं, बल्कि सबसे विनम्रता से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि उर्दू और लखनऊ के ‘अदब और आदाब’ की वे मुकम्मल किताब हैं।
प्रोफेसर शारिब रूदौलवी ने कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि मैं क्या हूं, कहां तक पहुंचा हूं, वह सब लखनऊ विश्वविद्यालय की देन है, इसी जगह से अपने शिक्षकों को सुना है, जिन्होंने मुझे पढ़ना सिखाया, मैं पहले भी सीखता था और आज भी सीखता हूं कि सिर्फ आगे बढ़ने से ही मंजिल मिलती है। उन्होंने छात्रों से कहा कि यह सोचने का विषय है कि आप आने वाली पीढ़ी को क्या दे रहे हैं, विद्यार्थी की सफलता में गुरू की बहुत अहम भूमिका होती है। प्रोफेसर आरिफ नक़वी ने अपनी पुरानी यादें ताजा करते हुए प्रोफेसर शारिब के साथ लखनऊ विश्वविद्यालय में बिताए दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर शारिब रूदौलवी आज उर्दू के सबसे बड़े प्रगतिशील समालोचक हैं। कार्यक्रम में कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, प्रोफेसर जफरूद्दीन और डॉ हसन कमाल ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ अब्बास रज़ा नैय्यर ने किया।