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Friday 11 January 2019 02:10:19 PM
मथुरा। संस्कृति यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कृषि एवं बायोटेक्नोलॉजी के छात्र-छात्राओं के सपनों को उत्कृष्ट रूपमें साकार करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो से अनुबंध किया है। इससे कृषि एवं बायोटेक्नोलॉजी में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ट्रेनिंग और अनुसंधान कार्य में मदद मिलेगी। इसे एक ऐतिहासिक पहल बताया जा रहा है, जिसमें संस्कृति यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं एनबीपीजीआर के विश्वस्तरीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के व्याख्यानों से लाभांवित हो सकेंगे। संस्कृति यूनिवर्सिटी प्रबंधन का कहना है कि वह अपने छात्र-छात्राओं को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से रू-ब-रू कराने के लिए प्रतिबद्ध है। अनुबंध पर संस्कृति यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ राणा सिंह और राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के निदेशक डॉ कुलदीप सिंह ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर डॉ शशि भल्ला, डॉ सैयद कामरान अहमद, डॉ सुनील चंद दुबे, डॉ सुधीर अहलावत, डॉ कविता गुप्ता, विवेक पूर्वार उपस्थित थे।
भारत सरकार ने पादप आनुवंशिक संसाधनों के संकट से उबरने के लिए अगस्त 1976 में नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो की स्थापना की थी। राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो का उद्देश्य पादप आनुवंशिक संसाधनों का विकास, खोज और सर्वेक्षण करना है। यह देश के वैज्ञानिकों से तालमेल रखकर देश के विभिन्न क्षेत्रों से पादप आनुवंशिक संसाधनों को एकत्र करता है। बहुत समय पहले जब इस विषय का वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं हुआ था, तब भी अच्छे प्रकार के फूलों और फलों के उत्पादन के लिए बाग-बगीचों में यह कार्य किया जाता था। ज्ञात हो कि कृत्रिम रीति से परागण कराकर नए पौधे प्राप्त करने की क्रिया को पादप प्रजनन कहते हैं। इस क्रिया का प्रयोग देश की आर्थिक उन्नति में बहुत ही सहायक है। इस क्रिया से कपास, तम्बाकू, गेहूँ, चावल, दलहन और दवाइयों में काम आने वाले ऐसे पौधों का पर्याप्त विकास किया गया है, जो हर वातावरण में अपने को ठीक रख सकें।
संस्कृति यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने संस्कृति यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के बीच हुए अनुबंध को मील का पत्थर करार देते हुए कहा कि इससे युवा पीढ़ी कृषि की आधुनिक तकनीक से जहां परिचित होगी, वहीं वह स्वयं भी अनुसंधान के क्षेत्र में रुचि लेते हुए कुछ नया करेगी। उपकुलाधिपति राजेश गुप्ता ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है, ऐसे में संस्कृति यूनिवर्सिटी युवा पीढ़ी को आधुनिक कृषि प्रणाली से परिचित कराकर देश के विकास में प्रमुख योगदान देना चाहती है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि युवा कृषि को जीविकोपार्जन का जरिया मानते हुए इस क्षेत्र में अपना करियर बनाएं। कुलपति डॉ राणा सिंह का कहना है कि संस्कृति यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के बीच जो अनुबंध हुआ है, इससे ब्रज मंडल के छात्र ही नहीं अन्य प्रदेशों के छात्र भी कृषि अनुसंधान की तरफ अग्रसर होंगे। डॉ राणा सिंह ने कहा कि आज कृषि क्षेत्र को ऐसी युवा पीढ़ी की दरकार है, जोकि बदलते मौसम के अनुरूप उन्नत बीज, उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर विश्वस्तरीय कृषि उत्पादन कर सकें।