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Thursday 17 January 2019 05:20:47 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कृषि क्षेत्र के प्रति सार्थक भाव बनाने और इसे सुदृढ़, सतत और लाभकारी बनाने के लिए नीतिगत कार्यक्रमों के माध्यम से ढांचागत परिवर्तन लागू करने का आह्वान किया है। उपराष्ट्रपति ने आज हैदराबाद में एग्री विजन-2019 का उद्घाटन किया और स्मार्ट एवं सतत कृषि के लिए कृषि समाधान विषय पर सम्मेलन को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति ने कृषि क्षेत्र की अनेक चुनौतियों के व्यापक और दीर्घकालिक समाधान के लिए सभी हितधारकों के गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कृषि ऋण माफी जैसे थोड़े समय के उपायों से कुछ समय के लिए तो राहत मिलेगी, लेकिन दीर्घकालिक रूपसे किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि उत्पादकता में गिरावट, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और अवमूल्यन, खाद्यान की तेजी से बढ़ती मांग, एक स्तर पर टिकी कृषि आय, छोटे भूखंड के तथा अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन भारतीय कृषि के समक्ष प्रमुख चुनौतियां हैं।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि पारंपरिक कृषि लाभकारी नहीं होगी और सतत आय सुनिश्चित करने के लिए किसानों को संबंधित गतिविधियों की ओर मुड़ना होगा। समावेशी विकास के लिए कृषि क्षेत्र के विकास को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को सशक्त बनाने से न केवल ग़रीबी में कमी आएगी, बल्कि इस क्षेत्र से जुड़े लाखों लोगों की आजीविका सुधारने में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत के जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 18 प्रतिशत है और यह क्षेत्र देश के कार्यबल के 50 प्रतिशत को रोज़गार प्रदान करता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसान अनुकूल बाज़ार, पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं, रेफ्रिजरेटर वैन, मूल्यवर्धन के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण पर फोकस, किसानों को समय पर रियायती ऋण और किसानों तक नवाचारों तथा टेक्नॉलोजी की पहुंच सुनिश्चित करके कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। वेंकैया नायडू ने शोधकर्ताओं और कृषि विशेषज्ञों से कृषि क्षेत्र की बहुपक्षीय समस्याओं के समाधान का आग्रह किया। उन्होंने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकारों, वैज्ञानिक समुदाय, कृषि विज्ञान केंद्रों तथा किसानों से संयुक्त प्रयास करने को कहा।
उपराष्ट्रपति ने यह सुझाव भी दिया कि कृषि पाठ्यक्रमों को पूरा कर रहे विद्यार्थियों को कम से कम छह महीने किसानों के साथ बिताना चाहिए, ताकि वे किसानों की समस्याओं को जान सकें और अपने सुझावों एवं शोधों से उन्हें लाभांवित भी कर सकें। वेंकैया नायडू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने तथा कृषि को पर्यावरण संगत और सतत बनाने के लिए डिजिटल टेक्नॉलोजी आवश्यक है, इससे कृषि क्षेत्र की अनिश्चितता को दूर करने और संसाधनों को बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बीजारोपण से लेकर फसल बाद के प्रबंधन और मार्केटिंग में नवीनतम टेक्नॉलोजी को अपनाना तथा अन्य देशों के समकक्ष उत्पादकता में सुधार करना जरूरी है। उन्होंने भारत के लिए स्वेदशी खाद्य सुरक्षा को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि देश आयातित खाद्य सुरक्षा पर निर्भर नहीं कर सकता।