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क्षेत्रीय भाषाएं हिंदी के लिए संजीवनी-राज्‍यपाल

अबू धाबी में सरकारी कार्य में हिंदी बनी आधिकारिक भाषा

दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों के लिए राजभाषा पुरस्‍कार समारोह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 14 February 2019 06:04:03 PM

official language award ceremony for south and southwest territories

कोच्चि। कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी साउथ कलमश्शेरी कोच्चि में भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत राजभाषा विभाग ने दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों के लिए संयुक्‍त क्षेत्रीय राजभाषा सम्‍मेलन एवं पुरस्‍कार वितरण समारोह वर्ष 2018-19 का आयोजन किया, जिसमें केरल के राज्‍यपाल पलनिसामी सदाशिवम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन पर प्रतिभागियों को पुरस्‍कार प्रदान किए। इस मौके पर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेमिनार कॉम्‍प्‍लेक्‍स साउथ कलमश्शेरी के वाइस चांसलर डॉ आर शशिधरन, राजभाषा विभाग के सचिव शैलेश, संयुक्‍त सचिव डॉ बिपिन बिहारी, बीएसएनएल के प्रधान महाप्रबंधक तथा कोच्चिनगर राजभाषा कार्यांवयन समिति के अध्‍यक्ष डॉ के फ्रांसिस जेकब और केंद्र सरकार के मंत्रालयों, उपक्रमों आदि के अधिकारी भी उपस्थित थे। राज्‍यपाल पलनिसामी सदाशिवम ने कहा कि हिंदी हमेशा से भारत की एकता को सुदृढ़ करने का सशक्त माध्यम रही है और राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी का योगदान हिंदी भाषा के उत्‍थान में अभूतपूर्व रहा है। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हिंदी को इसके सरलतम रूपमें अपनाकर संघ के राजकीय कामकाज में ज़्यादा-से-ज़्यादा प्रयोग में लाया जाए।
केरल के राज्‍यपाल पलनिसामी सदाशिवम ने कहा कि सभी भारतीय भाषाएं बहुत ही समृद्ध हैं और ये भारत की सांस्कृतिक विविधता का संवर्धन करती हैं। उन्होंने सभी क्षेत्रीय भाषाओं को देश की सभ्यता और संस्कृति का पोषक बताते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं का विकास, प्रचार एवं प्रसार हिंदी के लिए संजीवनी शक्ति है। राज्यपाल ने कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि हिंदी को उसके वर्तमान स्‍वरूप तक पहुंचाने में देश के दक्षिणी प्रदेशों के महानुभावों ने महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है, इस कड़ी में आंध्र प्रदेश के डॉ पट्टाभि सीतारमैया का नाम आधुनिक भारत के इतिहास में अनन्य हिंदी प्रेमी के रूपमें उल्लेखनीय है एवं आंध्र प्रदेश के ही डॉ मोटूरी सत्यनारायण दक्षिण भारत में हिंदी प्रचार आंदोलन के संगठक और हिंदी के प्रचार-प्रसार के युगपुरुष थे। पलनिसामी सदाशिवम ने कहा कि संविधान ने हम सबपर राजभाषा हिंदी के विकास और प्रयोग प्रसार का दायित्‍व सौंपा है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्‍छेद 351 के अनुसरण में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचलित एवं लोकप्रिय शब्‍दों को ग्रहण करके हिंदी के शब्‍द भंडार को निरंतर समृद्ध करने का दायित्व हम सभी का है।
यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नालॉजी साउथ कलमश्शेरी के वाइस चासंलर डॉ आर शशिधरन ने समारोह में अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि हिंदी भारत की राजकाज की भाषा है, साथ ही पूरे विश्‍व में हिंदी में कार्य करने वाले मौजूद हैं। उन्‍होंने अबू धाबी सरकार के हाल के निर्णय पर खुशी जाहिर की, जिसके अंतर्गत हिंदी भाषा को अबू धाबी के सरकारी कार्य की तीसरी आधिकारिक भाषा बनाया गया है। कार्यक्रम में राजभाषा हिंदी की महत्ता बताते हुए राजभाषा विभाग के सचिव शैलेश ने कहा कि देशभर में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों एवं कार्यालयों आदि में सरकार की राजभाषा नीति का अनुपालन तथा सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने में राजभाषा विभाग की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि विभाग के विभिन्‍न तकनीकी और क्षेत्रीय सम्मेलनों में बढ़ती हुई भागीदारी इस बात को दर्शाती है कि देश के सभी क्षेत्रों में हिंदी के प्रयोग में रुचि बढ़ रही है। उनका कहना था कि किसी भी देश की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्‍कृतिक प्रगति में उस देश की भाषा का अहम योगदान होता है।
राजभाषा विभाग के सचिव शैलेश ने कहा कि कोई भी भाषा या बोली सिर्फ विचारों की वाहिका ही नहीं होती, अपितु राष्ट्र की संस्कृति, सभ्यता व संस्कारों के निर्माण का महत्वपूर्ण साधन भी होती है। सचिव शैलेश का कहना था कि हमारी सभी भाषाएं और बोलियां हमारी धरोहर हैं और इन्हें बढ़ावा देना हर भारतीय का कर्तव्‍य है। उन्होंने कहा कि अपनी भाषा के प्रति लगाव और अनुराग राष्‍ट्रप्रेम का ही एक रूप है, हिंदी ने सभी भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोकर अनेकता में एकता की भावना को पुष्‍ट किया है। उन्होंने कहा कि ज़रूरत है कि हम हिंदी को इसके सरल रूपमें अपनाकर अपने सभी सरकारी और व्यक्तिगत कार्य हिंदी में करने को प्राथमिकता दें। राजभाषा विभाग के संयुक्‍त सचिव डॉ बिपिन बिहारी ने कहा कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में होनेवाले इन राजभाषा सम्मेलनों एवं समारोहों की महत्वपूर्ण भूमिका है, इनका उद्देश्‍य राजभाषा नीति के कार्यांवयन में आ रही समस्याओं का समाधान ढूंढना और इस दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कार्यालयों एवं कार्मिकों को पुरस्कृत कर उन्हें प्रोत्साहित करना है।
राजभाषा विभाग के संयुक्‍त सचिव डॉ बिपिन बिहारी ने कहा कि क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलनों के आयोजन से, राजभाषा से जुड़े विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श हेतु एक सशक्त मंच उपलब्ध होता है तथा सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहन मिलता है। उन्‍होंने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी के वर्तमान दौर में सूचना प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से सभी नगरराजभाषा कार्यांवयन समितियों की रिपोर्टें राजभाषा विभाग को ऑनलाइन भेजी जाती हैं, राजभाषा विभाग ने देशभर में गठित सभी नगरराजभाषा कार्यांवयन समितियों के लिए संयुक्त वेबसाइट भी तैयार की है, इससे सभी समितियां एक-दूसरे के कार्यकलापों से भी अवगत हो सकेंगी और अनुकरणीय कार्य कर सकेंगी। डॉ बिपिन बिहारी ने कहा कि क्षेत्रीय कार्यांवयन कार्यालयों के प्रभारी अधिकारी अपने क्षेत्र की सभी सूचनाएं नगरराजभाषा कार्यांवयन समितियों की संयुक्‍त वेबसाइट पर अपलोड कराकर उसे सत्‍यापित करें। यह पुरस्कारों के मूल्यांकन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

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