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Wednesday 20 February 2019 01:15:36 PM
लखनऊ। मराठी समाज उत्तर प्रदेश ने लखनऊ विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन, मुख्य वक्ता डॉ संदीप राज महिंद गुरूजी, लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, मराठी समाज के अध्यक्ष उमेश कुमार पाटील और विशिष्टजन शामिल हुए। राज्यपाल राम नाईक एवं लालजी टंडन सहित सभी अतिथियों ने विश्वविद्यालय के प्रागंण में स्थापित शिवाजी महाराज की अश्वरोही कांस्य प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके उन्हें नमन किया। कार्यक्रम में शिवाजी के जन्मस्थल शिवनेरी दुर्ग से लखनऊ तक 1,600 किलोमीटर की यात्रा कर पहुंची युवक मंडली भी शामिल हुई। राज्यपाल राम नाईक ने इस अवसर पर कहा कि यह दिन महत्वपूर्ण है, क्योंकि छत्रपति शिवाजी और संत रविदास की भी जयंती मनाई गई। उन्होंने कहा कि संत रविदास ने जिस प्रकार सभी लोगों को जोड़ने का काम किया है, वह अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि वहां संत रविदास का भव्य मंदिर बनेगा।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि छत्रपति शिवाजी ने जो काम किया है, वह ऐतिहासिक रहा है, लोग उन्हें आदर्श शासक के रूपमें याद करते हैं। शिवाजी के जीवन के अनेक पक्ष थे, वे एक कुशल राजा और अप्रतिम योद्धा थे, जो कम सेना के बावजूद सेना का कुशलतापूर्वक नेतृत्व करने की क्षमता रखते थे। राम नाईक ने कहा कि शिवाजी ने औरंगजेब के साथ-साथ अन्य राजाओं से भी संघर्ष किया पर हार नहीं मानी तथा हिंदवी स्वराज की स्थापना की। हिंदवी स्वराज इस शब्द के प्रणेता छत्रपति शिवाजी महाराज हैं, जिन्होंने पहलीबार इस शब्द का प्रयोग एक पत्र में किया था। इसी विचार को नारा बनाकर शिवाजी महाराज ने संपूर्ण भारतवर्ष को एकत्रित करने के लिए अफगानों, मुग़लों, पोर्तुगीज और अन्य विदेशी मूल के शासकों की हुक़ूमतों के खिलाफ किया था। उनकी मुख्य विचारधारा भारत को विदेशी आक्रमणकारियों के प्रभाव से मुक्त करना था, क्योंकि वे भारतीय जनता, विशेषता हिंदुओं पर अत्याचार करते थे, उनके धर्माक्षेत्रों को नष्ट किया करते थे और उनका जबरन धर्मपरिवर्तन किया करते थे। राज्यपाल ने कहा कि शिवाजी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर नज़र डाले तो यह ज्ञात होता है कि उन्हें श्रेष्ठ शासक क्यों माना जाता है।
राज्यपाल राम नाईक ने छत्रपति शिवाजी को याद करते हुए बताया कि शिवाजी की माता जीजाबाई की इच्छा थी कि कोंडाना किला छत्रपति शिवाजी के पास होना चाहिए, शिवाजी की सेना के सरदार तानाजी अपने पुत्र के विवाह का निमंत्रण देने आए थे, माता जीजाबाई की इच्छा को जानकर उन्होंने कहा कि पहले कोंडाना जीतेंगे बाद में शादी होगी। युद्ध में तानाजी शहीद हुए तो शिवाजी ने कोण्डाना किले का नाम सिंहगढ़ रखते हुए कहा कि ‘गढ़ आला पण सिंह गेला’ अर्थात गढ़ तो जीत लिया पर सिंह चला गया। शिवाजी के अनुशासन पर राज्यपाल ने बताया कि शिवाजी को पुत्र संभाजी के मुगलों से मिलने का संदेह हुआ तो उन्होंने पुत्र के प्रति कठोर निर्णय लेकर उन्हें पन्हाला किले में कैद कर दिया। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज में अनुशासन के साथ सबको साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता थी। राज्यपाल ने कहा कि शिवाजी महाराज को आत्मसम्मान बहुत प्रिय था, औरंगजेब ने उन्हें धोखा देकर कैद कर लिया था। राम नाईक ने कहा कि राज्यपाल बनने के बाद उन्होंने आगरा भ्रमण में देखा है कि आगरा किले के दीवान-ए-खास में शिलापट्ट पर 1666 ई0 में शिवाजी के औरंगजेब से मिलने के उल्लेख के साथ कुछ भ्रामक तथ्य अंकित थे, उनके प्रयास से शिलापट्ट से भ्रामक तथ्यों को हटाया गया।
छत्रपति शिवाजी ने जब हिंदवी स्वराज की स्थापना की तो कुछ लोग उनको राजा मानने को तैयार नहीं थे। सुझाव आया कि यदि काशी के विद्वान पंडित गागा भट्ट राज्याभिषेक कराएं तो शिवाजी को छत्रपति राजा माना जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि प्रभु राम वनवास के समय नासिक के पंचवटी में रहे तथा शिवाजी का राज्याभिषेक वाराणसी के पंडित गागा भट्ट ने किया, यह दोनों प्रदेशों के ऐतिहासिक संबंधों को उजागर करता है। राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि छत्रपति शिवाजी स्मरण योग्य व्यक्तित्व हैं, उन्होंने भारतवासियों को गौरव प्रदान किया है, उनको राजा की हैसियत से नहीं, बल्कि योद्धा की हैसियत से याद किया जाता है। कार्यक्रम में महापौर संयुक्ता भाटिया एवं डॉ संदीप राज महिंद गुरूजी ने भी अपने विचार रखे।