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Wednesday 3 April 2019 01:40:21 PM
लखनऊ/ गोंडा। देश में सत्रहवें लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश से लगभग सारे राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिए हैं और कुछ चुनौतीपूर्ण सीटों पर प्रत्याशियों की अधिकृत घोषणाएं होना बाकी है। इन चुनौतीपूर्ण लोकसभा क्षेत्रों में कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र भी है, जहां इस समय भाजपा के बृजभूषण शरण सिंह सांसद हैं, जबकि इस लोकसभा क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या अच्छी-खासी है, जिस कारण मुलायम सिंह यादव के प्रमुख सहयोगी एवं समाजवादी पार्टी से बेनीप्रसाद वर्मा यहां से चार बार निर्वाचित हुए हैं। बृजभूषण शरण सिंह यहां से सपा के सांसद चुने जा चुके हैं, इस प्रकार सपा ने यहां पांच बार जीत दर्ज की है। यद्यपि यहां से कांग्रेस भी तीन बार जीती है, तथापि ध्रुवीकरण के चलते इस क्षेत्र का राजनीतिक मिजाज़ बदलता रहता है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा विरोधी सपा-बसपा गठबंधन के कारण यहां की राजनीतिक हवा पर सबकी नज़र है। कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने बृजभूषण शरण सिंह को फिरसे अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अभी अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। इस बार कांग्रेस अधिकांश जगहों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। कैसरगंज से लखनऊ के जानेमाने पत्रकार एएम खान ने कांग्रेस में पार्टी के टिकट का दावा प्रस्तुत किया है, जिसका कारण कैसरगंज में बड़ी संख्या में मुसलमानों का होना है। यदि एएम खान को कांग्रेस कैसरगंज से चुनाव में उतारती है तो निश्चित रूपसे यह मुकाबला निर्णायक स्थिति में जा सकता है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि सपा और बसपा कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र के मुसलमान मतदाताओं को अपनी-अपनी जागीर समझते आए हैं, एएम खान के कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतरने से मुसलमान कांग्रेस में जा सकते हैं और वैसे भी इस समय कांग्रेस मुसलमानों की पहली पसंद बनकर उभरी है। मुसलमानों के रुख पर ही यहां सपा-बसपा गठबंधन की सफलता का भविष्य है, भाजपा को हराने के लिए यदि बाकी दलों के गैर भाजपाई वोट कांग्रेस की तरफ चले गए तो यहां मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में बदल सकता है।
पत्रकार एएम खान राजधानी लखनऊ से अपना अख़बार निकालते हैं, इसके अलावा एएम खान लंबे समय से कांग्रेस से भी जुड़े हैं और कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों में बढ़चढ़कर भाग लेते हैं। कैसरगंज से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में उनकी अच्छी पैंठ मानी जाती है। उनका जनसंपर्क वृहद है और वह अपने समाज और जनसामान्य में अच्छी पकड़ रखते हैं, जिसे कांग्रेस के भी लोग अच्छी तरह जानते हैं। कांग्रेस टिकट के लिए कई मुस्लिम नेताओं और तंज़ीमों ने भी उनके लिए कांग्रेस हाईकमान से आग्रह किया है। उन्होंने इसबार कैसरगंज से लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की जोरदार तैयारियां भी की हुई हैं, जिनमें खास बात यह है कि उनकी दावेदारी यहां के सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी के लिए बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि कांग्रेस के दमदार प्रत्याशी होने के कारण मुस्लिम वोट कांग्रेस की तरफ जा सकते हैं, जिससे भाजपा को हराने के लिए सपा-बसपा को कांग्रेस का समर्थन करना पड़ेगा। सपा-बसपा गठबंधन की यहां के मुस्लिम वोटों पर पैनी नज़र है और कोई आश्चर्य नहीं होगा कि इस स्थिति में यहां पर चुनाव भाजपा और कांग्रेस में बदल जाए। कैसरगंज में कांग्रेस हाईकमान के फैसले की प्रतीक्षा की जा रही है और कैसरगंज के लोगों को उम्मीद है कि कांग्रेस यहां एएम खान के रूपमें जीतने के लिए चुनाव मैदान उतरेगी।
कैसरगंज का इतिहास जाने तो बृजभूषण शरण सिंह एक बार सपा से और एक बार भाजपा से यानी दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। ध्रुवीकरण के चलते यहां से बेनी प्रसाद वर्मा एवं बृजभूषण शरण सिंह से पूर्व दो बार जनसंघ और दो बार भाजपा को सफलता मिली है। इस बार भी भाजपा ने बृजभूषण शरण सिंह को मैदान में उतारा है। यहां भाजपा, सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस का त्रिकोणीय मुकाबला है। इस क्षेत्र की मुसलमानों की यह कसक रही है कि यहां उनकी निर्णायक संख्या होने के बावजूद उन्हें दूसरे प्रत्याशियों के पीछे चलना पड़ता है। इसबार कांग्रेस इस समीकरण को बदल सकती है और किसी भी दमदार मुस्लिम प्रत्याशी को उतारकर इस क्षेत्र के राजनीतिक नक्शे को बदला जा सकता है। कांग्रेस यहां किसी भी दमदार मुसलमान को अवसर देकर भाजपा को तगड़ी और निर्णायक टक्कर दे सकती है।
कैसरगंज की लोकसभा सीट बहराइच जिले की दूसरी लोकसभा सीट है। बहराइच जिले की सीमाएं उत्तरपूर्व में नेपाल के बर्दिया और उत्तर पश्चिम में बांके जिले से मिलती हैं। बहराइच जिला पश्चिम में सीतापुर और लक्ष्मीपुर, दक्षिण-पश्चिम में हरदोई, दक्षिण-पूर्व में गोंडा और पूर्व में श्रावस्ती जिले से घिरा हुआ है। कैसरगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तरप्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में परिसीमन के बाद कैसरगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं-पयागपुर, कैसरगंज, कर्नलगंज, तरबगंज और कतरा बाज़ार। खुरमे की मिठाई के लिए उत्तरप्रदेश के बहराइच जिले का यह कैसरगंज बड़ा प्रसिद्ध है। संसदीय सीट कैसरगंज में 15 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें अब तक सबसे अधिक बार सपा ने विजय दर्ज की है। कैसरगंज लोकसभा सीट 1991 में राम लहर में भाजपा के खाते में आई थी। अब देखना है कि कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में सपा-बसपा गठबंधन, भाजपा और कांग्रेस में कौन यहां जीत दर्ज करता है।