स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 22 April 2019 05:47:38 PM
लखनऊ। मोहनलालगंज लोकसभा सुरक्षित क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी आरके चौधरी ने रोड शो से अपना चुनाव प्रचार किया। दावा तो यह था कि इसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए, लेकिन आरके चौधरी के रोड शो का फोटो तो कुछ और ही बयान कर रहा है। बहरहाल रोड शो स्कूटर इंडिया चौराहे से होकर चिल्लावां कांग्रेस कार्यालय, बीमा अस्पताल, शनिमंदिर, सेक्टर जी एलडीए कालोनी, पावर हाऊस चौराहा एलडीए, खजाना मार्केट एलडीए, बंग्ला बाजार चौराहा, बिजली पासी किला चौराहा, प्रेम प्लाजा एलडीए कालोनी, तेलीबाग नहर चौराहा, तेलीबाग हनुमान मंदिर चौराहा, उतरेठिया डेंटल चौराहा, बरौली खलीलाबाद, विजयनगर, निलमथा, परागडेरी चौराहा, रिक्शा कालोनी होते हुए निलमथा पहुंचा।
बसपा के संस्थापक अध्यक्ष कांशीराम के प्रिय और विश्वासपात्र एवं उस दौर में बसपा के दलित आंदोलन की अग्रणी पंक्ति में रहे आरके चौधरी एक ऐसे दलित नेता थे, जिन्होंने दलित समाज के उत्थान के लिए बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। मायावती भी कांशीराम के अत्यंत नज़दीक रहीं, लेकिन आरके चौधरी, मायावती की तरह बसपा नेतृत्व के करीब होने की होड़ में कभी शामिल नहीं दिखाई दिए और बहुजन समाज के काम में लगे रहे। मायावती को इस बात की चिढ़ रही कि कांशीराम आरके चौधरी या राजबहादुर को इतना ज्यादा क्यों महत्व देते हैं। बहरहाल पहली बार और भाजपा के समर्थन से उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं मायावती के मंत्रिमंडल में आरके चौधरी कैबिनेट मंत्री हुए और उन्होंने ईमानदारी के मामले में विपक्ष की भी प्रशंसा हासिल की। एक समय ऐसा भी आया जब मायावती के कामकाज से असंतुष्ट कांशीराम ने मायावती के स्थान पर आरके चौधरी को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की, किंतु यह सुनकर मायावती के कोपभवन में जाने के कारण कांशीराम को अपना यह इरादा त्यागना पड़ा।
आरके चौधरी के बसपा में दिन तब लद गए, जब कांशीराम बीमार हुए और अशक्त होने के कारण सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। मायावती को आरके चौधरी से काशीराम की नजदीकी का बदला लेने का मौका मिल गया और मायावती ने आरके चौधरी को बसपा से ही बाहर कर दिया। आरके चौधरी और मायावती की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और आरके चौधरी के कांशीराम के नजदीक होने की दास्तां जानने वाले अनेक दलित नेता आज भी कहते हैं कि आरके चौधरी एक तरह से कांशीराम के असली उत्तराधिकारी थे, लेकिन नारहट के सामने काशीराम भी आरके चौधरी के लिए असहाय सिद्ध हुए। यहीं से आरके चौधरी का राजनैतिक कैरियर उतार-चढ़ाव का शिकार हो गया। कभी वे निर्दलीय रहे तो कभी अपनी पार्टी बना ली, कभी सपा में चले गए तो आज कांग्रेस में आ गए। इन सभी अवस्थाओं में आरके चौधरी कभी राजनीति की प्रचंड धारा में नहीं लौट पाए। आरके चौधरी आज वास्तविक राजनीतिक संघर्ष में हैं और मोहनलालगंज से कांग्रेस के प्रत्याशी जरूर हैं, लेकिन एक प्रश्न चिन्ह उनका पीछा कर रहा है।
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गौरव चौधरी ने इस मौके पर कांग्रेस प्रत्याशी आरके चौधरी को विजयी बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि भाजपा के झूंठे वादे से जनता ऊब चुकी है, किसान परेशान है, युवा बेरोज़गारी से तंग हैं, व्यापारी वर्ग जीएसटी से त्रस्त हैं। रोड शो में विनीत पाराशर एआईसीसी सदस्य एवं कोआर्डिनेटर मोहनलालगंज, वसीउल्ला आजाद, अमर सिंह चौधरी, संतोष सिंह, विजय कनौजिया, गौरी पांडेय, शब्बीर हाशमी, रोशन यादव, अनिल सिंह, लुकमान सिद्दीकी, लियाकत अली, विकास त्रिपाठी, रविंद्र वर्मा, आनंद सिंह, बचान सिंह, राधा पांडेय, सोनाली गुप्ता, अरुण ढाली, अंकुश शर्मा, अभिषेक मिश्रा, मोबीन खान, कुलदीप शर्मा, निशू यादव, प्रेम कनौजिया, रामपाल यादव, मोहम्मद शकील, एसके द्विवेदी, सुरेश चंद्र श्रीवास्तव आदि कांग्रेसी मौजूद थे।