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Wednesday 8 May 2019 03:47:09 PM
लखनऊ। बंगीय नागरिक समाज ने गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती के अवसर पर डीएम आवास लखनऊ में रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा के समक्ष एक कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाईक मुख्य अतिथि के रूपमें शामिल हुए। उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर ऐसे महामानव थे, जिनका जीवन दूसरों के लिए प्रकाशपुंज है, वे प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने कहा कि गुरूदेव अकेले ऐसे कवि हैं, जिनकी रचना 'जन-गण-मन' भारत का राष्ट्रगान है तो दूसरी रचना 'आमार सोनार बांग्ला' पड़ोसी देश बांग्लादेश का राष्ट्रगान है। उन्होंने कहा कि गुरूदेव देश के एकमात्र ऐसे साहित्यकार थे, जिन्हें साहित्य के क्षेत्र में गीतांजलि के लिए नोबल सम्मान मिला, उनकी विशेषताओं को देखते हुए अंग्रेजों ने उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की थी।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि 1919 में जलियांवाला बाग कांड से दुखी होकर उन्होंने ब्रिटिश प्रशासन को सच्चे देशप्र्रेमी होने का प्रमाण देते हुए ‘सर’ उपाधि वापस कर दी थी। उन्होंने कहा कि हमें रवींद्रनाथ टैगोर के आदर्शों, विचारों एवं कृतियों से सबक लेकर देश एवं समाज के कल्याण में सहयोग करना चाहिए, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। राम नाईक ने कहा कि राज्यपाल का कार्यकाल 5 साल तक होता है और उनका कार्यकाल 22 जुलाई 2019 को पूरा हो जाएगा और वे हर वर्ष रवींद्रनाथ टैगोर को आदरांजलि व्यक्त करने निरंतर यहां पर आते रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! अबतक 10 भाषाओं में मराठी, हिंदी, गुजराती, उर्दू, अंग्रेजी, संस्कृत, सिंधी, अरबी, फारसी एवं जर्मन में अनुवादित हो चुकी है। शीघ्र ही बांग्ला, असमिया और कश्मीरी भाषा में भी प्रकाशित होगी। उन्होंने बताया कि दृष्टिबाधित लोगों के लिए ब्रेल लिपि में शीघ्र आ रही है।
राज्यपाल ने कहा कि देश में लोकसभा चुनाव का महापर्व है, अबतक 5 चरण पर मतदान हो चुके हैं और 2 चरण बाकी हैं। उन्होंने कहा कि संविधान ने 18 वर्ष एवं उससे अधिक के भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया है और चुनाव मतदाता की भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि रक्तदान, धनदान जैसे अनेक दान समाज में प्रचलित हैं पर चुनाव के समय में मतदान सर्वश्रेष्ठ दान है, स्वयं भी मतदान करें और दूसरों को भी मतदान के लिए प्रेरित करें। मतदान सबसे बड़ा राष्ट्रधर्म है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मत का बहुत महत्व है। कार्यक्रम आयोजकों ने राज्यपाल को स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्र भेंट करके सम्मानित किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल सैय्यद सिब्ते रजी, मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी, सुधीर हलवासिया, नवाब मीर अब्दुल्ला जाफर, कार्यक्रम के संयोजक पीके दत्ता, छात्र-छात्राएं एवं बंग समाज के विशिष्ट नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम में बंगीय समाज ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले महानुभावों एवं छात्राओं को सम्मानित किया।