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Saturday 11 May 2019 01:46:17 PM
लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने लखनऊ में रेजीडेंसी जाकर 1857 से 1947 तक भारत देश को आज़ाद कराने लिए हुए स्वतंत्रता संग्राम में शहीद वीर जवानों और महापुरुषों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने देश की रक्षा करते समय शहीद होने वाले सैनिकों, पुलिस एवं सुरक्षाकर्मियों के पराक्रम को अनुकरणीय बताया और देशवासियों की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। राज्यपाल ने कहा कि देश की आज़ादी में अनेकों माताओं ने अपने सपूत, पत्नियों ने सुहाग, बहनों ने भाई, बच्चों ने पिता तथा संबंधियों ने अपनो को खोया है, तब देश आज़ाद हुआ और आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। राम नाईक ने कहा कि 10 मई 1857 को देश की आज़ादी का प्रथम समर शुरु हुआ था और अंग्रेजों ने आज़ादी की इस प्रथम लड़ाई को बगावत का नाम दिया था।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने देश के सामने सही इतिहास प्रस्तुत करते हुए प्रमाणित किया है कि यह बगावत नहीं देश को ब्रिटिश राज से स्वतंत्र कराने के लिए पहली जंग की शुरुआत थी, देशभर में अनगिनत स्थानों पर देशवासी स्वतंत्रता के लिए अपना योगदान दे रहे थे। राम नाईक ने कहा कि लखनऊ भी स्वतंत्रता की लड़ाई का प्रमुख केंद्र रहा है और लखनऊ की यह रेजीडेंसी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की साक्षी है। राज्यपाल ने इस अवसर पर रेजीडेंसी परिसर और संग्रहालय का भ्रमण किया एवं यहां डाक्युमेंट्री भी देखी और अच्छी डाक्युमेंट्री बनाने के लिए डाक्युमेंट्री के निर्माताओं का अभिनंदन किया।
राम नाईक ने कहा कि वे लगभग साढे़ तीन वर्ष पूर्व 13 अक्टूबर 2015 को रेजीडेंसी आए थे और रेजीडेंसी पर एक डाक्यूमेंट्री बनाने एवं लाइट एंड साउंड कार्यक्रम शुरु करने की सलाह दी थी। राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि रेजीडेंसी के संग्रहालय में पहले से काफी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि वे राज्य सरकार से लाइट एंड साउंड कार्यक्रम की शुरुआत के लिए चर्चा करेंगे। राज्यपाल ने कहा कि उन्हें प्रसन्नता होगी यदि उनके कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व यहां उन्हें लाइट एंड साउंड कार्यक्रम देखने को मिले।