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उत्तराखंड को टीएचडीसी से मिले सौ करोड़ रूपए

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आर. एस.टी. साईं एवं सुभाष कुमार/r s t sai and subhash kumar

देहरादून। उत्तराखंड सरकार को टीएचडीसी बांध परियोजना से प्रभावित क्षेत्रों के अवस्थापना विकास हेतु मिलने वाली 103 करोड़ रुपये की विशेष सहायता राशि के रूप में सोमवार को 100 करोड़ रुपये मिल गए। सौ करोड़ रुपये का चेक मुख्य सचिव सुभाष कुमार को सचिवालय में उनके कक्ष में टीएचडीसी के सीएमडी आरएसटी साईं ने दिया। तीन करोड़ रुपये की धनराशि उत्तराखंड को पूर्व में ही मिल चुकी है। राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्र स्तर पर प्रभावी पहल की थी।मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे से इस संबंध में कई बार वार्ता की थी और  मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने भी कैबिनेट सचिव और केंद्रीय ऊर्जा सचिव से भेंट कर इस मुद्दे को रखा था। इन प्रयासों का ही परिणाम है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने टीएचडीसी प्रबंधन को इसके लिए निर्देश दिए।
मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने बताया कि 100 करोड़ रुपये की धनराशि टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित गावों के पुनर्वास और अन्य अवस्थापना सुविधाओं पर खर्च की जाएगी। इसमें 41.44 करोड़ रुपए चिन्यालीसौड़ का क्षतिग्रस्त पुल, घूंटी-घनसाली पुल तथा डोबराचांटी पुल पर व्यय किए जाएंगे, टिहरी बांध का स्तर 835 मीटर के ऊपर हो जाने से प्रभावित रोलाकोट गांव के पुनर्वास पर 41 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की जायेगी। इस धन से रोलाकोट गांव के लोगों के लिए बिजली, पानी, सड़क आदि बुनियादी सुविधाएं दी जाएंगी। इसके साथ ही शिवालिक नगर, रैनाकोट में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए 8.63 करोड़ रुपये, पुनर्वास निदेशालय के लिए 2.50 करोड़ रूपये और 835 मीटर ऊंचाई पर बेनाप भूमि पर रहने वाले 800 परिवारों के लिए 2.42 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।
टीएचडीसी के सीएमडी आरएसटी साईं के यह अवगत कराने पर कि पीपलकोटी में 20 हजार एकड़ भूमि का हस्तांतरण न होने से जल विद्युत परियोजना का कार्य प्रभावित हो रहा है, वन भूमि होने की वजह से यह अड़चन आ रही है, मुख्य सचिव ने तत्काल कमिश्नर गढ़वाल अजय नबियाल और डीएम चमोली रंजीत सिन्हा को फोन पर निर्देश दिये कि इस मामले की जल्दी हल किया जाए। उन्होंने कहा कि हाल के उत्तराखंड सरकार के निर्णय से वन भूमि प्रतिपूरक धनराशि जमा करने पर अब भूमि के साथ-साथ मालिकाना हक भी मिल जायेगा। इसके बारे में शासनादेश जारी कर दिया गया है।
शासनादेश के अनुसार अब टीएचडीसी को मालिकाना हक मिल जायेगा, इसके लिए वर्ष 2016 तक 444 मेगावाट बिजली उत्पादन करने का रास्ता साफ हो गया है। सीएमडी ने बताया कि कोटेश्वर बांध के 2 यूनिटों से 200 मेगावाट की बिजली पैदा की जा रही है, जल्द ही 2 और यूनिट लग जाने से विद्युत उत्पादन में वृद्धि होगी। इसके साथ ही अलकनंदा की सहायक नदी धौलीगंगा पर मलारी और झिलम में दो परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भारत सरकार को भेज दी गई है, मंजूर होने के बाद इन परियोजनाओं पर ही कार्य शुरू हो जायेगा। बैठक में टीएचडीसी के निदेशक तकनीकी डीवी सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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