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वैश्विक फिल्‍मों के लिए खुला भारतीय बाजार

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नई दिल्ली। मशहूर आस्‍ट्रेलियाई फिल्‍म निर्देशक फिलिप नोइस ने कहा है भारतीय बाजार वैश्विक फिल्‍मों के लिए खोल दिया गया है और अंतर्राष्‍ट्रीय परियोजनाओं की स्‍वीकार्यता बढ़ी है। उन्‍होंने कहा कि सिनेमा ने विश्‍व भर में धीरे-धीरे वृद्धि की है और भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में इसको बढ़ते देखना हर्ष की बात है।
एक संवाददाता सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए निर्देशक फिलिप नोइस ने अपने जीवन, सिनेमाई कृतियों को बनाने की प्रेरणा और भविष्‍य में दर्शकों के प्रति अपनी योजनाओं से संबंधित विषयों पर बात की। फिलिप नोइस आस्‍ट्रेलिया के सबसे प्रसिद्ध फिल्‍म निर्देशकों में से एक हैं।

  • आईएफएफआई में सामाजिक पहल

नई दिल्ली। भारत में अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव में पहली बार सामाजिक दायित्‍व को शामिल कर इस महोत्‍सव के एक भाग के रूप में सम्मिलित किया गया है। रविवार को वृत्तचित्र फिल्‍म निर्माता गौतम चिंतामणि और उनकी टीम द्वारा निर्मित तीन लघु फिल्‍मों के माध्‍यम से फिल्‍म निर्माताओं, पत्रकारों और प्रतिनिधियों को इन विशेष लोगों और उनके परिवारों के जीवन की एक झलक देखने को मिली। ये फिल्‍में हैं- ’जन्‍म’, ’आगाज़’ और ’परवाज’।
अनौपचारिक समूह ’साथ’ में शामिल तीन माताओं शालिनी गुप्‍ता, नीना वाघ और कुसुम तिवारी ने विशेष जरूरतों वाले बच्‍चों और उनके परिवार की आवश्‍यकताओं के संबंध में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्‍य से फिल्‍म निर्माताओं और प्रतिनिधियों को अपने मिशन की जानकारी दी।
मीडिया सेंटर में एक संवाददाता सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए आईएफएफआई के निर्देशक शंकर मोहन ने कहा कि सिनेमा हमेशा से सामाजिक बदलाव और जागरूकता पैदा करता रहा है और इसलिए यह समारोह इन साहसी माता-पिताओं को प्रतिनिधियों से बातचीत करने और अपने अनुभव बांटने का मंच प्रदान करेगा।

  • हमारा अतीत और हमारी भूमिका

नई दिल्ली। फिल्‍म 'द कंसल ऑफ बोर्दो' के निदेशक फ्रांसिस्‍को मेंसो ने कहा है कि उन्‍हें ऐतिहासिक विषयों पर आधारित फिल्‍में बनाना पसंद है। उन्‍होंने कहा कि अतीत के अध्‍ययन से वर्तमान में हमारी भूमिका और भविष्‍य के परिपेक्ष्‍य को समझना आसान हो जाता है। वह आज यहां एक संवाददाता सम्‍मेलन को संबोधित कर रहे थे।
निदेशक फ्रांसि‍स्‍को मेंसो सहित फिल्‍म के अभिनेता विटर र्नोटे, निर्माता जोस मज़ेदा और संगीतकार हेनरी सेरोका भी इस सम्‍मेलन में मौजूद थे। इस सम्‍मेलन में फिल्‍म की विषय-विस्‍तु पर प्रकाश डाला गया। फिल्‍म की टीम के सदस्‍यों ने शूटिंग के दौरान हुए अपने महत्‍वपूर्ण अनुभवों को बांटा। ’द कंसल ऑफ बोर्दो’ एक ऐसे व्‍यक्ति की कहानी है जो 1940 में दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान बोर्दो में 10000 यहूदियों सहित 30000 लोगों को नाज़ियों के चंगुल से बचाता है।

  • ‘तृष्‍णा’ फिल्‍म मेरे दिल के करीब

नई दिल्ली। अंतर्राष्‍ट्रीय ख्‍याति प्राप्‍त फ्रीदा पिंटो ने कहा है कि फिल्‍म ‘तृष्‍णा’ उनके दिल के करीब है और फिल्‍म के साथ जुड़कर उन्‍हें भावनात्‍मक संतोष मिला है। इस फिल्‍म में पिंटो ने नायिका की भूमिका निभाई है। उन्‍होंने कहा कि फिल्‍म की कहानी ने उन्‍हें अपने अभिनय की क्षमता का पता लगाने का अवसर प्रदान किया है। उन्‍होंने फिल्‍म के निर्देशक माइकल विंटरबॉटम के साथ शनिवार को एक संयुक्‍त संवाददाता सम्‍मेलन को संबोधित किया। फिल्‍म के निर्देशक विंटरबॉटम ने कहा कि यह फिल्‍म थॉमस हार्डी के प्रसिद्ध उपन्‍यास ’टैस ऑफ दी ड्यूबरविले’ पर आधारित है। उन्‍होंने बताया कि फिल्‍म की कहानी एक ऐसी महिला की है जो प्रेम और परिस्थितियों के बीच पिस जाती है। इस भूमिका के लिए पिंटो का चयन इसलिए किया गया क्‍योंकि वह एक पारंपरिक भारतीय महिला का प्रतिनिधित्‍व करती है। अपनी भविष्‍य की योजनाओं के बारे में फ्रीदा पिंटो ने कहा कि वे भारत पर केंद्रित फिल्‍मों पर अधिक काम करना चाहती है।

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