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मालदा। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मालदा जिला अस्पताल में हर शिशु रोगी के साथ 4 से 5 परिजनों के होने और शिशुओं के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी पर रोष व्यक्त किया है। आयोग ने हाल ही में मालदा के अस्पताल का दौरा किया है। इस अस्पताल में अक्टूबर और नवंबर 2011 में कम से कम 30 शिशुओं की मौत हुई है। अपने दौरे में टीम ने शिशु वार्ड, नवजात शिशु वार्ड, प्रसूति वार्ड और लेबर रूम का निरीक्षण किया। आयोग ने लेबर रूम सहित अन्य वार्डो की सफाई पर असंतोष व्यक्त किया। हांलाकि नवजात शिशु वार्ड का रखरखाव बेहतर था लेकिन वह भी वांछित स्तर का नहीं था।
एनसीपीसीआर सदस्य विनोद कुमार टिक्कू के नेतृत्व में 5 सदस्यीय दल ने बृहस्पतिवार को मालदा मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल का दौरा कर हाल में हुई नवजात शिशुओं की मृत्यु के कारणों की जानकारी ली। टिक्कू ने अस्पताल के विभिन्न वार्डो का दौरा करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अस्पताल के स्तर को बढ़ाकर मेडिकल कॉलेज करने के कारण मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या से निपटने के साथ नवजात शिशुओं के उपचार के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी भी है। अस्पताल में माइक्रो एनेस्थीजर और वेंटिलेटर मशीन नही है। मुख्यमंत्री द्वारा हाल में दिए गए अतिरिक्त वार्मर होने के बाद भी सफाई की कमी है।
दल ने बताया कि शिशु रोगी की माता के साथ बड़ी संख्या में परिजन मौजूद रहते हैं। इससे जहां नवजात शिशु को संक्रमण होने का जोखिम बढ़ जाता है, वहीं इससे डॉक्टर और अस्पताल कर्मियों के लिए भी परेशानियां पैदा होती हैं। दल ने रोगियों के माता-पिता और परिजनों से वार्ड में भीड़ न करने का अनुरोध किया। दल ने अस्पताल प्रशासन को वार्ड में आगुंतक प्रवेश को नियमित करने का निर्देश दिया। इससे पहले कोई भी वार्ड में बेरोकटोक प्रवेश कर सकता था जिससे डाक्टरों और नर्सों के आने-जाने में बाधा आती थी। प्रतिनिधिमंडल ने रिश्तेदारों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को ध्यान से सुना। इनमें कुछ दवाइयां खरीदने में असमर्थता और कुछ परीक्षणों का शुल्क वहन करने में असमर्थ होना शामिल है।
बाल अधिकार संरक्षण की इस सर्वोच्च संस्था ने अस्पताल अधिकारियों को नवजात शिशुओं के माता-पिता और अस्पताल कर्मियों के बीच सरकार की कमजोर तबके के लिए चलाई जा रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी देने और इनसे मिलने वाले लाभ की जानकारी देने का अनुरोध किया। बाल अधिकारों पर दल अपनी रिपोर्ट आयोग को सौपेंगा।