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पुणे। सिनेमा के क्षेत्र में तकनीकी विकास की गति के साथ तालमेल बनाये रखते हुए, भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव ने 'तीसरा आयाम' नामक अपने एक विशेष खंड में थ्री डी फिल्मों को पेश किया है। इस नवजात क्षेत्र के उद्भव को 1920 के दशक में ध्वनि और 1930 के दशक में रंगों के आगमन के बाद से अब तक के फिल्मों के इतिहास में एक क्रांति के रूप में माना जाता है। ये फिल्में न सिर्फ उनकी थ्री डी सामग्री बल्कि माध्यम की अनुकूलता में अपनी उत्कृष्टता के लिए के लिए जानी जाती हैं।
यहां प्रदर्शन की जा रही थ्री डी फिल्मों में ‘हारा किरी’ ‘पिना’ ‘तूमेला’ और ‘केव ऑफ फॉरगॉटेन ड्रीम्स’ प्रमुख हैं। तकाशी मिके निर्देशित 'हारा किरी' जापानी फिल्म है। यह कान, लंदन और वैंकूवर जैसे विभिन्न फिल्म समारोहों में पहले ही प्रदर्शित हो चुकी है। मिके अपनी विशिष्ट शैली के साथ फिल्मों के इतिहास की कुछ बेहतरीन और सबसे सशक्त फिल्मों के निर्माण में सफल रहे हैं। ‘पिना’ जर्मनी के महान थ्रीडी कोरियोग्राफर, वुपर्टल पिना बॉस्क की अद्वितीय और प्रेरणादायक कला की विशेषता से युक्त एक फीचर डांस फिल्म है। बॉस्क का 2009 में निधन हो गया था। यह फिल्म विम वेंडर्स निर्देशित है, जो एक जर्मन फिल्म निर्देशक, नाटककार, लेखक, फोटोग्राफर और निर्माता हैं। फिल्म पहले ही शिकागो, न्यूयॉर्क और वैंकूवर के समारोहों में प्रदर्शित हो चुकी है।
आईएफएफआई में प्रदर्शित हो रही अन्य आभासी प्रस्तुतियों में ‘तूमेला’ ऑस्ट्रेलिया के इवान सेन ने निर्देशित की है। यह एक सुदूर आदिवासी समुदाय के दस वर्षीय लड़के की कहानी है, जो एक 'गैंगस्टर' को रोल मॉडल मानकर अपने जीवन में भी वैसा ही बनना चाहता है। ‘केव ऑफ फॉरगॉटेन ड्रीम्स’ के निर्देशक वर्नर हीरोजोग ने अपनी फिल्म के माध्यम से एक गुफा में उकेरी गयी 32,000 वर्ष पुरानी कला के बारे में बताया। हीरोज के संवाद में व्यापक आध्यात्मिक पुट है और हम इससे पाषाण काल की कला के बारे में अधिक जान पाते हैं।