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नई दिल्ली। खान राज्यमंत्री दिनशा पटेल ने लोकसभा में कहा है कि गौण खनिजों के खनन कार्य को राज्य सरकार निर्धारित नियमों के माध्यम से नियंत्रित करती है। गौण खनिजों के खनन के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को पहचानकर सरकार ने गौण खनिजों के सतत खनन के लिए दिशा निर्देश तैयार किए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ कुछ सिफारिशें भी शामिल की गईं हैं। इनके अनुसार खनन पट्टे का न्यूनतम आकार 5 हेक्टेयर होगा, जिसकी न्यूनतम अवधि 5 वर्ष होगी। वर्तमान में परिचालित लघुतर खनन पट्टे की स्थिति में खान के लिए समूह पद्धति अपनाई जाएगी, गौण खनिजों के लिए भी खनन योजना अनिवार्य की जाएगी। खनन किए गए क्षेत्रों में पुनर्दावा और पुनर्वास हेतु एक अलग कार्पस बनाया जाएगा। भू-जल तल के लिए नीचे प्रस्तावित खनन के लिए जल-भूवैज्ञानिक प्रतिवेदन तैयार किया जाएगा। नदी तल खनन के लिए पट्टे विस्तारवार दिए जाएंगे, गहराई तीन मीटर अथवा जल स्तर, दोनों में से जो भी कम हो, तक सुरक्षित जोन तक सीमित रखी जाएगी।
खान राज्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने गौण खनिजों के खनन को पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 (खनन क्षेत्र के आधार पर) के अंतर्गत रखा है जिसमें पूर्व पर्यावरण अनुमति लेनी अपेक्षित है। सरकार ने राज्य सरकारों के गौण खनिजों के लिए अपने संबंधि नियमों के दिशा-निर्देशों में इन सिफारिशों को शामिल करने का अनुरोध किया था, अब, राज्य सरकारों से परामर्श करके, सरकार ने मसौदा खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) विधेयक 2011 तैयार किया है जिसमें मुख्य खनिजों के लिए न्यूनतम 10 हेक्टेयर क्षेत्र और गौण खनिजों के लिए 5 हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित किया गया है। औरपि गौण खनिजों की स्थिति में केंद्र सरकार से परामर्श करके विशिष्ट खनिजों के लिए 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्र के लिए भी खनन पट्टा देने की न्यूनतम अवधि पांच वर्ष होगी और छोटे निक्षेपों की स्थिति में, समूह खनन की अनुमति दी जाएगी।