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नई दिल्ली। रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीकांत कुमार जेना ने राज्यसभा में बताया है कि सरकार ने उर्वरकों, एलपीजी और केरोसिन के मामले में 14 फरवरी 2011 को प्रत्यक्ष राजसहायता के अंतरण पर नंदन नीलकणी, अध्यक्ष यूआईडीएआई की अध्यक्षता में एक कार्यबल का गठन किया था, जो वांछित लाभार्थियों को केरोसिन, एलपीजी और उर्वरकों पर राजसहायता के प्रत्यक्ष अंतरण के लिए कोई कार्यान्वयन-योग्य समाधान निकालने की सिफारिश करेगा। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ मौजूदा पद्धति, प्रक्रियाओं और प्रणालियों, आईटी ढांचे और आपूर्ति श्रंखला प्रबंधन में अपेक्षित परिवर्तनों की पहचान करना और सुझाव देना शामिल है। यह कार्यबल प्रायोगिक आधार पर प्रस्तावित समाधानों के कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन भी करेगा।
उन्होंने साथ ही बताया कि कार्यबल ने लाभार्थी को प्रत्यक्ष राजसहायता के अंतरण के कार्यान्वयन के लिए एक चरणबद्ध दृष्टिकोण की सिफारिश की है, जिसके अनुसार प्रथम चरण में पूरी उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला में वस्तुओं के संचालन के बारे में अंतिम स्थल अर्थात् खुदरा व्यापारी, जिनसे किसान उर्वरक खरीदता है, तक की सूचना उपलब्ध कराई जाए। खुदरा स्थल की उपलब्धता से संबंधित यह सूचना पारदर्शी पब्लिक पोर्टल पर प्रदर्शित की जाएगी। दूसरे चरण में अंतरिम रिपोर्ट में यह परिकल्पना की गई है कि उर्वरक के प्राप्त होने पर खुदरा व्यापारी (अंतिम बिक्री स्थल) को राजसहायता जारी की जाएगी। इसमें थोक विक्रेता से उर्वरक की प्राप्ति होने पर खुदरा व्यापारी के बैंक खाते में सीधे राजसहायता का अंतरण शामिल होगा। इस चरण का यह लाभ होगा कि उर्वरक खुदरा व्यापारी तक पूरे मूल्य पर आपूर्ति श्रृंखला में उपलब्ध होगा। तीसरे चरण में एक बार लाभार्थियों को आधार संख्या दिए जाने पर वांछित लाभार्थियों को राजसहायता को अंतरण किया जाएगा और ‘आधार’ के अनुसार भुगतान संपर्क बनाया जाएगा। कार्यबल विचार-विमर्श और प्रायोगिक अध्ययन कर रहा है। कार्यबल की अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत होने पर सरकार इस पर विचार और कार्यांवयन करेगी।