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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने हिंदुस्तान टाइम्स नेतृत्व सम्मेलन में शुक्रवार को ‘बदलते विश्व में अवसर और चुनौतियां’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। मुखर्जी ने कहा परिवर्तन की प्रक्रिया कभी आसान नहीं होती है, चाहे यह व्यक्तिगत परिवर्तन की बात हो या सामाजिक या राष्ट्र के परिवर्तन की, लेकिन यह जरूरी है कि हम बदलाव करते रहें। हम हमेशा अपने तरीके से बदलाव को देखते हैं, व्यक्तिगत या फिर सामूहिक रूप में देखें या स्थानीय और वैश्विक नजरिए से देखें, हर जगह बदलाव आ रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारे सामने चुनौतियां यह निश्चित करने की हैं कि परिवर्तन की यह प्रक्रिया विधवंसक न हो और यह मानवता की भलाई के मौकों को सहयोग दें, यह आसान काम नहीं है, परिवर्तन की प्रक्रिया कभी भी एकांगी नहीं होती है और इस कारण समस्याएं पैदा होती हैं, जनसमुदाय के अलग-अलग हिस्सों के लिए पड़ने वाले परिवर्तन के अलग प्रभावों के संबंध में हमेशा ही चिंताए उठती रहती हैं, इन पर अनिश्चिता बनती रहती हैं, वैकल्पिक साधनों पर विचार करने के लिए मौके बने रहते हैं, इन सब के कारण स्थितियां ज्यादा ही चुनौती पूर्ण हो जाती हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि मैं कम से कम चार ऐसे कारक गिना सकता हूं जो हमारे जीवन में परिवर्तन लाने की दिशा में सहयोग करते हैं और हमारे इर्दगिर्द मौजूद रहते हैं। ये कारक एक समाज और उसके बदलाव, प्रौद्योगिक विकास और उनके अनुप्रयोग, सामाजिक संस्थान, मूल तथा संस्कृति और सूचना, संचार एवं परिवहन के तकनीक से एक दूसरे के क्षेत्र में उनकी दखल का निरूपण हैं।
उन्होंने कहा कि इनमें एक और कारक को शामिल किया जा सकता है जिसे पर्यावरणीय परिवर्तन कहा जा सकता है, इसे अन्य चार कारकों के परिणाम के तौर पर भी देखा जा सकता है, उपरोक्त चार कारकों के अंतर संबंधों का परिवर्तन की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है और उन अवसर और चुनौतियों पर भी प्रभाव पड़ता है जो ये आम लोगों के सामने लाते हैं।