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नई दिल्ली। भारतीय भू-गर्भीय सर्वेक्षण के अनुसार 1 अप्रैल 2011 को भारत में सर्वाधिक 12 सौ मीटर की गहराई तक अब तक कोयले के कुल 2,85,862 मिलियन टन भू-गर्भीय संसाधन होने का अनुमान है। इसमें 33.47 बिलियन टन कोकिंग कोयला और 252.40 बिलियन टन गैर-कोकिंग कोयला शामिल है। कोयले के अनुमानित संसाधनों को मोटे तौर पर कोकिंग और गैर-कोकिंग कोयले के रूप में वर्गीकृत किया गया है, तथापि श्रेणी-वार अनुमान नहीं लगाया गया है। श्रेणी-वार ब्योरा, कोयले के भंडारों का प्रोजेक्ट बनाने के समय, तैयार किया जाता है।
अब तक कोयला खंडों के 195 खनन अधिकार सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों को दिए गए हैं। कोयले के इन 195 खंडों में से लगभग 22 बिलियन टन कोयला भंडारों के 84 खंड सरकारी कंपनियों को और 22.15 बिलियन टन भंडारों के 111 खंड निजी क्षेत्र की कंपनियों को दिए गए हैं। इस समय 176 कोयला परियोजनाएं पर्यावरण और वन विभाग से स्वीकृति मिलने की प्रतीक्षा में हैं। कोयला मंत्रालय ने कोयला उत्पादक राज्यों के साथ पर्यावरण और वन विभाग की स्वीकृति, भूमि अधिग्रहण आदि मामलों का तेजी से समाधान कराने का मामला उठाया है। कोयला कंपनियों ने जल्दी स्वीकृति प्राप्त करने के विभिन्न उपाय किए हैं। इसके अलावा, कोयले की मांग और आपूर्तिके अंतर को पाटने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड विदेशों में कोयले के भंडार प्राप्त करने और अधिगृहीत कोयले से उत्पाद भारत आयात करने पर विचार कर रहा है।
कोलकाता स्थित सीआईएल मुख्यालय में कोयला विदेश विभाग इस विदेशी उद्यम का अनुसरण कर रहा है और इस दिशा में कई उपाय किए गए हैं। इन उपायों के जरिए कोयले की आपूर्तिकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और वैश्विक मूल्यों के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए सीआईएल कोयले का आयात करने के बारे में विचार कर रहा है, तथापि, यह प्रक्रिया अभी विचाराधीन है और सीआईएल ने अभी तक अन्य देशों में किसी खान का अधिगृहण नहीं किया है। इसके अलावा, भारत सरकार ने सीआईएल, सेल, आरआईएनएल, एनएमडीसी और एनटीपीसी के बीच संयुक्त उद्यम के जरिए स्पेशल परपज विहिकल (एसपीवी) के गठन को स्वीकृति दे दी है, जो 20 मई 2009 को इंटरनेशलन कोल वेंचर्ज प्राइवेट लिमिटेड के रूप में पंजीकृत किया गया था।
आईसीवीएल का उद्देश्य भागीदार कंपनियों की कोयला संबंधी मांग को पूरा करने के लिए विदेशों में कोयले के भंडारों में निवेश करना है। एसपीवी को 10 हजार करोड़ रुपये के प्राधिकृत पूंजी के लिए मंजूरी दी गयी है और उसकी शुरूआती चुकता पूंजी 3,500 करोड़ रुपये है। आस्ट्रेलिया, मौजांबीक और अमरीका आदि देशों में मुख्य रूप से कोकिंग कोल के भंडार प्राप्त करने के उपाय किए गए हैं।