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नेहरु को उत्तराधिकारी बनाना गाँधी की सबसे बड़ी भूल

हिंद स्वराज पर पुस्तक के विमोचन में सुदर्शन ने कहा

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नई दिल्ली। पूर्व सर संघचालक कुपसी सुदर्शन ने कहा है कि जब तक भारत खंडित है, तब तक हिंद स्वराज की यात्रा पूरी नहीं हो सकती। विविधता में एकता और केंद्र में आध्यात्मिकता को रखकर ही नए भारत का निर्माण करना होगा। उन्होंने देश की वर्तमान चुनाव प्रणाली में आवश्यक सुधार की आवश्यकता बताते हुए कहा कि जीतने वाले उम्मीदवार को पचास प्रतिशत मत हासिल करने के बाद ही विजयी समझा जाना चाहिए। इतिहास में झांकते हुए सुदर्शन ने कहा कि जवाहरलाल नेहरु को उत्तराधिकारी बनाना महात्मा गाँधी के जीवन की सबसे बड़ी भूल थी। नेहरु और माउंटबेटन के षड्यंत्र के कारण ही आज कश्मीर देश के सामने विकराल समस्या बना हुआ है। हिंद स्वराज की अनंत यात्रा पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।
आज से सौ वर्ष पूर्व महात्मा गांधी की किताब हिंद स्वराज की उपादेयता को वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में प्रासंगिक बताते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक अजय कुमार उपाध्याय ने हिंद स्वराज की अनंत यात्रा नाम से एक पुस्तक लिखी है। पुस्तक में लेखक ने महात्मा गांधी के जीवन यात्रा का वर्णन ‘हिंद स्वराज‘ के आलोक में किया है। प्रज्ञा संस्थान के दिल्ली के हिंदी भवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक का विमोचन पूर्व सरसंघचालक कुपसी सुदर्शन ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वस्ति वाचन और दीप प्रज्वलन से हुआ। प्रकाशक प्रभात कुमार ने इस वैचारिक पुस्तक के प्रकाशन की आवश्यकता बताते हुए कहा कि साहित्य का कार्य मनुष्य के जीवन में बोध पैदा करना होता है और हिंद स्वराज की अनंत यात्रा इन्हीं प्रेरणाओं का दीप्तिमान पुंज है।
लेखक अजय कुमार उपाध्याय ने पुस्तक के विमोचन की तिथि १९ नवंबर की महत्ता की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि आज ही के दिन श्रद्धेय भाऊराव देवरस का जन्म हुआ था, जिन्होंने मनुष्यत्व की खोज में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने समाज में ऐसे व्यक्तियों को खड़ा किया, जिन्होंने हिंदुत्व की इस धारा को और प्रवाहमान बनाया। लेखक ने आगे कहा कि यह पुस्तक उन्होंने आत्म विकास के लिए लिखी है, मुझे हिंद स्वराज का दर्शन तो श्रीगुरूजी के मुख से निकले शब्दों के साहित्य ‘विचार नवनीत‘ और दीनदयाल जी के एकात्म मानवतावाद में हुआ है। अपने लेखन की भूमिका बताते हुए अजय कुमार ने कहा कि इक्कीसवीं शताब्दी की आवश्यकता है कि जीवन साधना और लेखन दोनों ही करना होगा, तभी यह समाज जनतंत्र अपने प्रकाश से सभी को आलोकित कर सकेगा।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और गांधीवादी विचारक डॉ रामजी सिंह ने कहा कि इस पुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम को रोचक तथ्यों के साथ वर्णित किया गया है, वास्तव में सभ्यता के दर्शन की पुस्तक है “हिंद स्वराज”। देश और काल के ऊपर की यात्रा को अनंत यात्रा कहते हैं, अंदर के आंदोलन के प्रकटीकरण को गाँधी ने हिंद स्वराज का स्वरुप दिया था, उस स्वरुप को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रखने वाले “हिंद स्वराज की अनंत यात्रा“ के अगले संस्करण की समाज को आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गाँधी को आज विज्ञान विरोधी बताया जाता है, जबकि गाँधी आत्मज्ञान और विज्ञान के संबंध पर बल देते थे। उनका कहना था कि आत्मज्ञान के बिना विज्ञान अंधा है और विज्ञान के बिना आत्मज्ञान पंगु है। भारत की सुप्त आत्मा को अंदर से जगाने का उपकरण है हिंद स्वराज और यही कारण है कि गाँधी की मूल पुस्तक “हिंद स्वराज“ का आज सौ साल बाद पुनर्जन्म हो रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जवाहर लाल कौल ने राजनीति में आये गुणात्मक परिवर्तन की ओर ध्यान दिलाते हुए गाँधी के राजनीतिक मूल्यों को अपनाए जाने की जरुरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सौ वर्ष पूर्व हिंद स्वराज, गाँधी की ज्ञान यात्रा से उत्पन्न हुआ और आज भी प्रासंगिक है, उसी का दर्शन आज इक्कीसवी शताब्दी में हिंद स्वराज की अनंत यात्रा में किया जा सकता है। इस अवसर पर श्रीकांत जोशी, कश्मीरी लाल, अशोक प्रभाकर, अजय कुमार, कमलजीत, हरीश, सिद्धार्थ, नामित वर्मा, लाल बिहारी तिवारी, साहब सिंह चौहान, कमलजीत सहरावत, विनोद गोयल, वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ सर्वेश पांडेय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रभात कुमार ने किया।

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