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दोहा।भारत ने सभी के लिए सतत् वैश्विक ऊर्जा की पूर्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को और तेज करने का आह्वान किया है। दोहा में आयोजित 20वें विश्व पेट्रोलियम कांग्रेस को संबोधित करते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने कहा कि पहले विभिन्न देशों का ध्यान ऊर्जा की आत्मनिर्भरता पर था और हाल ही में उनका ध्यान ऊर्जा सुरक्षा पर केंद्रित हुआ है और यदि हमें सभी के लिए ऊर्जा सुनिश्चित करनी है तो यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि भारत के पेट्रोलियम मंत्री के रूप में मेरे ऊपर विश्व की कुल जनसंख्या के छठे भाग और बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए ऊर्जा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है और मैं समझता हूं कि वैश्विक स्तर पर मेरा यह कार्य सभी के लिए सतत् वैश्विक ऊर्जा की पूर्ति में मददगार साबित होगा, हम लोगों ने विकास को निर्धारित करने वाले पेट्रोलियम बाजार की संरचना और गतिशीलता को देखा है, सहस्राब्दि विकास के लक्ष्यों को तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता जब तक कि सतत ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जाता।
उन्होंने कहा कि हम सभी दुनिया में अनुभव किए जा रहे आर्थिक दबाव से अवगत हैं, विभिन्न विकसित और विकासशील देशों की आर्थिक प्रगति की प्रक्रिया पर इस नए दबाव का भार पड़ा है, हालांकि इस आर्थिक मंदी से उबरने में काफी समय लग सकता है, भारत जो कि विश्व में चौथा सबसे बड़ा प्राथमिक ऊर्जा का उपभोक्ता है, अच्छी वृद्धि दर बनाए रखने के साथ-साथ वैश्विक ऊर्जा बाजार से संबंधित तेल क़ीमतों और इसके फलस्वरूप उत्पन्न मुद्रास्फीति की अनिश्चितता का भी सामना कर रहा है।
जयपाल रेड्डी ने कहा कि रियाद में आयोजित विशेष अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मंच (आईईएफ) विशेष मंत्रि-स्तरीय बैठक में मैंने भौतिक एवं वित्तीय बाजारों के निगरानी संबंधी नियमन के लिए यूएस, यूके एवं अन्य देशों के प्रयासों में सहयोग देने की इच्छा जाहिर की थी, मेरा यह मानना है कि आईईएफ एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से उपयुक्त नियमन तंत्र के विकास और इसके कार्यान्वयन के लिए और अधिक प्रयास होने चाहिएं। ऊर्जा पर आधारित विभिन्न क्षेत्रों में बहु क्षेत्रीय सहयोग किया जा सकता है और अंतर-निर्भरता पर ध्यान न देने और विकास के लिए अलग-अलग नीतियों के शामिल होने से भी ऊर्जा स्रोतों पर दबाव बढ़ा है।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि जब हम बजट और राजस्व योजना तैयार करते हैं तो उसमें ऊर्जा बजट की भी गणना होनी चाहिए, बड़ी जनसंख्या को ध्यान में रखकर ऊर्जा के न्यायोचित उपयोग के लिए कार्यक्रम को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, भारत बहुपक्षीय सहयोग की क्षमता को समझता है और मेरे मंत्रालय ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया है, हम हर दो वर्षों बाद पेट्रोटेक का आयोजन करते हैं, जिसमें ऊर्जा उद्योग को बेहतर बनाने के लिए अनुभवों का आदान-प्रदान किया जाता है।