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डरबन। भारत डरबन में चल रही वार्ता में बहुत ही रचनात्मक और उम्मीद के साथ भाग ले रहा है। यह बहुत ज़रूरी है कि डरबन में क्योटो प्रोटोकॉल पर एक स्पष्ट और दृढ़ निर्णय लिया जाए, यह तभी हो सकता है जब क्योटो प्रोटोकॉल पार्टियां जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर वाकई में गंभीर हों। समझौतों में पारदर्शिता के मामले में भारत ने हमेशा रचनात्मक रवैया अपनाया है, भारत इस संबंध में प्रगति भी कर रहा है। अब समय है कि विकसित देश भी जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) और क्योटो प्रोटोकॉल के अंतर्गत अपने हिस्से की प्रतिबद्धता को पूरा करें।
डरबन में बेसिक (ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन) देशों के संवाददाता सम्मेलन में पर्यावरण और वन मंत्रालय का वक्तव्य जारी किया गया है, जिसके अनुसार भारत चाहता है और उसे उम्मीद भी है कि डरबन में हरित जलवायु कोष (जीसीएफ) बनाया जाएगा। हमने डरबन में पार्टियों के सम्मेलन के पास विचार के लिए तीन एजेंडे प्रस्तावित किए हैं ताकि जो मुद्दे कानकुन में पूरे नहीं किए जा सके उन पर इस समय पूरा विचार-विमर्श किया जा सके। निष्पक्षता, एकतरफा कार्य और प्रौद्योगिकी संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार वह तीन मुद्दे हैं। हमें विश्वास है कि हम विकासशील देशों की आवाज़ को मज़बूती के साथ रख पाएंगे।