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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने राज्य सभा को बताया है कि वर्ष 2011 के दौरान (अक्तूबर तक) केंद्रीय भंडार से संबंधित 5 शिकायतें केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) में प्राप्त हुई थीं। आयोग ने इनमें से 3 शिकायतें, आवश्यक कार्रवाई के लिए और एक शिकायत जांच और रिपोर्ट के लिए प्रशासनिक विभाग को भेज दी है। आयोग में एक शिकायत की जांच की जा रही है, पांच शिकायतों में से एक ई-मेल से प्राप्त हुई थी। उन्होंने सदन को यह भी जानकारी दी कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सभी शिकायतकर्ताओं को उनकी शिकायतों पर की गई कार्रवाई के बारे में सूचित किया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि केंद्रीय सतर्कता आयोग में प्राप्त शिकायतों पर आयोग की शिकायत हैंडलिंग नीति के अनुसार कार्रवाई की जाती है, इस नीति के अनुसार, शिकायतों को ई-मेल से दर्ज कराया जा सकता है।
शिकायत निवारण अधिकार विधेयक
नारायणसामी ने बताया कि केंद्र सरकार ने नागरिक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक नामक एक प्रारूप विधेयक का प्रस्ताव किया है। यह विधेयक प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण पर नागरिक चार्टर में उस समय का जिसमें विनिर्दिष्ट वस्तुओं की आपूर्ति की जाएगी और सेवाएं प्रदान की जाएंगी और नागरिक चार्टर का अनुपालन न करने और उससे या आकस्मिक रूप से जुड़े मामले के लिए, एक शिकायत निवारण तंत्र की व्यवस्था करने का उल्लेख करते हुए, नागरिक चार्टर प्रकाशित करने के दायित्व को निर्धारित करता है। जनता की टिप्पणियां आमंत्रित करते हुए इस प्रारूप विधेयक को 2 नवंबर 2011 को प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की वेबसाइट पर रख दिया गया है। केंद्रीय मंत्रालय, विभागों और राज्य सरकारों से भी इस पर मत मांगे गए हैं। अधिनियम के लिए विधेयक को संसद में पेश करने से पूर्व इन मतों पर विचार किया जाएगा।
सूचना अधिकार अधिनियम का दायरा
नारायणसामी ने एक और प्रश्न के लिखित उत्तर में इस बात को स्वीकार किया कि देश में सूचना का अधिकार संबंधी कानून के लागू होने से प्रशासन के कार्यकरण में पारदर्शिता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह मत है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 से सरकार के कार्यकरण के अंतर्गत पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार आया है। उन्होंने सदन को यह भी बताया कि इस बारे में किसी भी मुख्यमंत्री से कोई संदर्भ प्राप्त नहीं हुआ है। इस अधिनियम की धारा 2 (ज) यथापरिभाषित लोक प्राधिकरणों पर लागू है, जिनमें शामिल है-सरकार के स्वामित्व वाले इसके द्वारा नियंत्रित अथवा पर्याप्त रूप से वित्त पोषित निकाय अथवा समुचित सरकार द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से पर्याप्त रूप से वित्त पोषित गैर-सरकारी संगठन। इसके अलावा इस अधिनियम की धारा 2 (च) के अनुसार ऐसे गैर सरकारी निकायों के संबंध में सूचना, जो इस समय लागू किसी अन्य कानून के अंतर्गत लोक प्राधिकारी द्वारा मांगी जा सकती है, पहले से ही सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के दायरे में है। सार्वजनिक-निजी साझेदारी व्यवस्था के बारे में कोई सूचना, जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रकट किया जा सकता है, को, उस लोक प्राधिकारी द्वारा मांगा जा सकता है, जो उपयुक्त व्यवस्था में साझेदार है।