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तेजेंद्र शर्मा की कहानियों में पहचान की खोज

कब्र का मुनाफ़ा और रचना समय के विशेषांक का विमोचन

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तेजेंद्र शर्मा और अन्य/tejendra sharma and other

नई दिल्ली। वरिष्ठ कथाकार एवं हंस के संपादक राजेंद्र यादव ने कहा है कि प्रवासी लेखक तेजेंद्र शर्मा की कहानियां कई बारीक स्तरों पर पहचान की खोज की कहानियां हैं, क़ब्र का मुनाफ़ा संग्रह में तेजेंद्र शर्मा की कहानियां सधी और तराशी हुई हैं। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सभागार में सामयिक प्रकाशन और समाज संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजेंद्र यादव ने ये बातें कहीं। इस अवसर पर तेजेंद्र शर्मा के कहानी संग्रह क़ब्र का मुनाफ़ा के दूसरे संस्करण एवं भोपाल से प्रकाशित हरि भटनागर द्वारा संपादित पत्रिका रचना समय के विशेषांक का विमोचन भी किया गया।
लंदन से विशेष रूप से पधारे कथाकार तेजेंद्र शर्मा ने जब अपने लिखे साहित्य को प्रवासी साहित्य कहे और माने जाने पर असहमति जताई तो राजेंद्र यादव ने कहा कि किसी भी लेखक को प्रवासी इसलिये नहीं कहा जाता कि उसे अपमानित करना है या अलग बिरादरी का दिखाना है, बल्कि इसलिये, क्योंकि हिंदी कहानी पच्चासों टुकड़ों में बंटी हुई है। मिसाल के तौर पर किसी ने पहाड़ी कहानी का झंडा उठा रखा है, तो किसी कहानी को आंचलिक ख़ांचे में रख दिया जाता है। दरअसल ऐसा विभाजन करने के लिये कहा जाता है, और यह विभाजन इसलिये किया जाता है, ताकि कहानी को संपूर्णता से समझा-देखा जा सके।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ‌हिंदी अकादमी दिल्ली के सचिव रवींद्रनाथ श्रीवास्तव ‘परिचयदास’ ने तेजेंद्र शर्मा की कहानियों को ज़मीन से जुड़ा हुआ बताया। उन्होंने कहा कि उनकी कहानियों में ग़ज़ब की पठनीयता है। तेजेंद्र शर्मा की शिकायत यह थी कि मैं प्रवासी हुआ तो उससे पहले का लिखा मेरा लेखन भी प्रवासी करार कर दिया गया। उन्होंने सवाल किया कि लेखक प्रवासी हो सकता है, मगर उसका साहित्य कैसे प्रवासी हो सकता है? तेजेंद्र शर्मा ने प्रवासी लेखकों से भी कहा कि आप लिखिए और जरूर लिखिए मगर पढ़िये भी जरूर। एक कहानी लिखने से पहले पंद्रह कहानियां जरूर पढ़िये। उन्होंने आह्वान किया कि हमें नए मुहावरे गढ़ने होंगे।
अजय नावरिया ने लंदन से विशेष रूप से भेजा गया कथाकार ज़किया ज़ुबैरी का संदेश पढ़कर सुनाया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह समारोह तेजेंद्र शर्मा की कहानियों की मुख्यधारा की स्वीकृति का प्रमाण है। भारत भारद्वाज, सुशील सिद्धार्थ, विजय शर्मा, साधना अग्रवाल एवं वंदना पुष्पेंद्र ने भी तेजेंद्र शर्मा कि कहानियों और लेखन पर अपने विचार रखे। वक्ताओं ने उनकी कहानियों को मार्मिक, विविधतापूर्ण एवं पास-परिवेश से जुड़ा बताया। उनके मुताबिक़ तजेंद्र शर्मा की कहानियां अतीत (भारत) और वर्तमान (लंदन) के सामाजिक हालात से जुड़ी हुई हैं। भारत भारद्वाज ने उनकी कहानियों को समकालीन हिंदी कहानी का आधा गांव कहा।
कार्यक्रम का संचालन कथाकार अजय नावरिया ने किया और अतिथियों का स्वागत सामयिक प्रकाशन के प्रबंध निदेशक महेश भारद्वाज ने किया। लोकार्पण समारोह में तेजेंद्र शर्मा के कॉलेज के ज़माने के प्राध्यापक सोमनाथ, कथा यूके के लेखकों असग़र वजाहत, भगवान दास मोरवाल, विकास कुमार झा के अलावा के बिक्रम सिंह, सत्यकाम, मनीषा कुलश्रेष्ठ, नरेंद्र नागदेव, अरुण आदित्य, अल्का सिन्हा, प्रदीप पंत, आलोक श्रीवास्तव, अमरनाथ अमर, गीताश्री, मानसी, वर्तिका नंदा, अजंता शर्मा, नरेश शांडिल्य, अनिल जोशी, अनिता कपूर (अमरीका), राज चोपड़ा (लंदन), राकेश पांडेय, आरिफ़ जमाल, हिंदी जगत के जाने-माने लेखक, पत्रकार, प्रशासनिक अधिकारी एवं गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं।

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