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परिवहन और लड़ाकू विमानों की खरीद

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नई दिल्ली। भारत ने भारतीय वायु सेना के लिए दस सी-17 ग्लोबमास्टर विमान के साथ ही साथ छह सी-130जे विमान और उससे संबंधित उपकरण की खरीद के लिए अमेरिका की सरकार के साथ प्रस्ताव और स्वीकारोक्ति पत्र पर हस्ताक्षर किए। सी-17 विमान की खरीद की कुल लागत तकरीबन 4.116 बिलियन अमेरिकी डालर है। जबकि 30 सी-130जे विमान खरीद की कुल कीमत 962.4 मिलियन अमेरिकी डालर है।
रक्षा मंत्री ऐके एंटोनी ने लोकसभा में बताया कि विमानों की कीमत उसकी विशेषता, बनावट और उसमें लगे उपकरणों के ऊपर निर्भर करता है, भारत को जिस कीमत पर सी-17 विमान दिया जा रहा है, उसी कीमत पर अमेरिकी वायु सेना और उसके सहयोगियों को भी यह विमान दिया गया था। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जून 2013 से जून 2015 के बीच सभी दस सी-17 विमान और उससे संबंधित उपकरण भारतीय वायु सेना को मिल जाएंगे। सी-130 जे30 विमान को बेड़े में शामिल की शुरूआत फरवरी 2011 में हुई। अब तक भारतीय वायुसेना के बेड़े में पांच विमान शामिल किए जा चुके हैं। दिसंबर 2011 के आखिर तक छठा विमान भी भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा।

  • वायु सेना के लिए लड़ाकू विमान

रक्षामंत्री ने बताया कि रक्षा मंत्रालय की खरीद परिषद ने जब भी जरूरी हो, वायु सेना के लिए 126 औसत बहुउददेश्यीय लड़ाकू विमान खरीदने की मंजूरी दे दी है। इन पर रुपये 42,000 करोड़ लागत आने का अनुमान है। इस प्रस्ताव पर इस समय बातचीत चल रही है और लागत के अंतिम आंकडे वार्ता के बाद मालूम हो पायेंगे।  एंटनी ने कहा कि इस हल्के लडाकू विमान को 2012 तक वायु सेना में शामिल किये जाने की उम्मीद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वायु सेना की संचालन क्षमताओं की समय-समय पर यह सुनिश्चित करने के लिए समीक्षा की जाती है, कि वह रक्षा चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहे।

  • निगरानी रडारों के लिए अनुबंध

उन्होंने एक अन्य प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि 22 निगरानी रडार उपकरणों (एसआरई) की खरीद के लिए 27 सितंबर 2007 को 870.44 करोड़ की लागत के एक अनुबंध पर मैसर्स भारत इलेक्‍ट्रोनिक्‍स लिमिटेड के साथ हस्‍ताक्षर किए गए थे। इस अनुबंध में इन रडारों को संचालित करने के लिए आवश्‍यक बुनियादी सुविधाओं का निर्माण भी शामिल है। इस खरीद को रक्षा खरीद प्रक्रिया की मेक श्रेणी के अंतर्गत किया गया था। सभी 22 रडारों की सुपुर्दगी की जा चुकी है और चार रडार कार्य सेवाओं के पूर्ण होने के बाद संचालित किए जा चुके हैं, अन्‍य स्‍थलों के लिए कार्य सेवाएं पूर्णत: के विभिन्‍न स्‍तरों पर हैं।

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