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नई दिल्ली। नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्री डॉ फारूख अब्दुल्ला ने सोमवार को यहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सौर फोटोवोल्टेइक्स पर एक हजार शिक्षकों को पढ़ाइये नामक परीक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम आईआईटी मुंबई संचालित कर रहा है, जो देश में फैले 35 ‘सुदूर केंद्रों’ पर एक साथ चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत ‘सौर फोटोवोल्टेइक्स : मूल बातें, तकनीक और प्रयोग’ नामक दस दिवसीय कार्यशाला 12 से 22 दिसंबर 2011 तक आयोजित की जा रही है। इस दौरान संकाय व्याख्यान एवं प्रयोगशाला सत्रों में विकसित व्याख्यान आईआईटी आयोजित करेगी। यह कार्यक्रम नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से आईआईटी मुंबई में राष्ट्रीय फोटोवोल्टेइक्स अनुसंधान और शिक्षा केंद्र ने संयुक्त रूप से आयोजित किया है। इसका उद्देश्य जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के सफलतापूर्वक कार्यांन्वयन के लिए जनशक्ति तैयार करना है।
इस अवसर पर डॉ फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि इस सराहनीय उपाय से ग्रामीण क्षेत्रों की ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं को अक्षय ऊर्जा के प्रयोग से पूरा करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षकों को इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कठोर परिश्रम करने को कहा। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के अधीन प्राप्त उपलब्धियों की चर्चा करते हुए डॉ अब्दुल्ला ने कहा कि सीमा शुल्क में छूट की बोली के जरिये आठ सौ मेगावॉट के परियोजना चयन से सीमा शुल्क को कम करने में काफी सहायता मिली है। उन्होंने कहा कि नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 2011-12 के दौरान दूसरे बैच में एक अन्य 350 मेगावॉट के चयन की प्रक्रिया भी शुरू की है। इस बैच की बोली के परिणाम अभी अभी प्राप्त हुए हैं और सौर ऊर्जा के औसतन सीमा शुल्क में 8.77 रूपये प्रति यूनिट की और कमी की पेशकश की गई है।
डॉक्टर अब्दुल्ला ने कहा कि विभिन्न योजनाओं के अधीन अब तक 180 मेगावॉट से अधिक क्षमता की ग्रिड बिजली परियोजनाएं चालू की गईं हैं और मार्च 2012 तक देश में लगभग 400 मेगावॉट क्षमता वाली परियोजनाएं चालू कर दी जाएंगी, अब तक ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 67 मेगावॉट से अधिक क्षमता वाली परियोजनाएं मंजूर की गईं हैं और आशा है कि मार्च 2013 तक यह क्षमताबढ़कर 100 मेगावॉट तक पहुंच जाएंगीं, अब तक लगभग 50 लाख वर्ग मीटर सौर तापीय कलैक्टर क्षेत्र भी स्थापित किया गया है। एक हजार शिक्षकों को पढ़ाइये कार्यशाला का मुख्य जोर फोटोवोल्टेइक के क्षेत्र में सिद्धांत और प्रशिक्षणों के जरिये के बारे में उच्चस्तरीय तकनीकी जानकारी देना है। आईआईटी मुंबई में पहले आयोजित कार्याशालाओं में 35 प्रशिक्षण केंद्र समन्वयकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। अनुमान है कि प्रत्येक प्रशिक्षित अध्यापक आगे लगभग 35 से 40 छात्रों को प्रशिक्षित करेगा और इस प्रकार प्रशिक्षित शिक्षकों का छात्रों का एक सुदृढ़ आधार तैयार करने में सहायता मिलेगी।