नई दिल्ली। संबद्ध कानूनों और नियमों के अनुसार सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन के सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार रोकने के लिए और केंद्रीय सतर्कता आयोग के साथ संबद्ध आचरण नियमों के अंतर्गत भ्रष्ट अधिकारियों को प्रशासन के सभी स्तरों पर उन्हें नियंत्रित और दंडित किया जाता है। भारतीय दंड संहिता, आपराधिक दंड संहिता जैसे विभिन्न कानूनों के अंतर्गत, अलावा दोषी पाये गए लोगों को दंडित करने के लिए पर्याप्त और कड़े प्रावधान हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री वी नारायणसामी ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग के प्रावधानों के अनुसार, पिछले तीन वर्ष यानी 2008-2010 के दौरान (सभी वर्गों) के कुल 39,123 अधिकारियों को दंडित किया गया।
वर्ष | प्रमुख दंड | साधारण दंड | कुल |
2008 | 3528 | 9011 | 12,539 |
2009 | 4562 | 9862 | 14,424 |
2010 | 3853 | 8307 | 12,160 |
कुल | 11,943 | 27,180 | 39,123 |
केंद्रीय जांच ब्यूरो की सूचना के अनुसार 2008-2011 तक (यानी 31.10.2011) के दौरान भ्रष्टाचार निरोधक कानून के अंतर्गत कुल 2706 मामले दर्ज किये गए हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है-
वर्ष | दंड संहिता अधिनियम के अंतर्गत दर्ज मामलों की संख्या |
2008 | 744 |
2009 | 795 |
2010 | 650 |
2011 (31.10.2011) | 517 |
कुल | 2706 |
उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार को रोकने और सरकार के कामकाज में सुधार लाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये हैं जैसे-व्हीसिल ब्लोअर्स प्रस्ताव, 2004 का मुद्दा और संसद में सार्वजनिक प्रकटन विधेयक-2010 बनाने वाले व्यक्तियों के लिए सार्वजनिक हित का प्रकटन। सूचना का अधिकार विधेयक 2005 को पारित करना। निवारक उपाय के रूप में सतर्कता की वार्षिक कार्रवाई योजना में मंत्रालय और विभाग को पहले ही शामिल करना। केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा टेंडरिंग और कॉन्ट्रेक्टिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता पर व्यापक निर्देशों का मुद्दा। केंद्रीय सतर्कता आयोग के निर्देश जारी कर संगठनों से कहना कि वह प्रमुख सरकारी खरीद कार्यकलापों में निष्ठा के समझौते को अपनाएं। इसी तरह के निर्देश केंद्रीय सरकार ने 16 जून 2009 को जारी किये थे, जिनमें राज्य सरकारों को सलाह दी गई थी कि वे प्रमुख सरकारी खरीदों में निष्ठा समझौता अपनाएं।
ई-गर्वनेंस लागू करना और प्रक्रियाओं तथा प्रणालियों का सरलीकरण। सीटीजन चार्टर करना। मंत्री समूह की प्रथम रिपोर्ट की स्वीकृति और ऐसे नियमों पर विचार करना जिन्हें भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार इस्तेमाल कर सके। लोकसभा में लोकपाल विधेयक 2011 पेश करना। भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की संपुष्टि। विदेशी सरकारी अधिकारियों की घूसखोरी रोकने और सार्वजनिक अंतर्राष्ट्रीय संगठन विधेयक 2011 को लोकसभा में पेश करना। संसद में न्यायिक मानकों और जवाबदेही विधेयक 2010 को पेश करना। अखिल भारतीय सेवा और सार्वजनिक क्षेत्र में केंद्रीय सरकार के ग्रुप ए के कार्यरत अधिकारियों की अचल संपत्ति के विवरणों को प्रस्तुत करना।