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मायावती के भाई आनंद के अरबपति होने के सबूत?

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ किरीट सौमैय्या ने गुरूवार को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के भाई आनंद कुमार की 125 कंपनियों की जांच की मांग को लेकर कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय की जांच समिति और प्रवर्तन निदेशालय को प्रमाण सहित दस्तावेज सौपें। इन दस्तावेजों में कंपनियों के जरिये हुए करोडों रूपए के घपले-घोटाले और पैसे के संदिग्ध लेन-देन के प्रमाण दिए गए हैं।
भाजपा नेताओं ने यह पाया है कि नोएडा प्रधिकरण के भूमि आवंटन-नीलामी-टेंडर अनियमित एवं संदिग्ध है, और इससे नोएडा घोटाला, नोएडा व्यवसायिक भूमि आंवंटन घोटाला, नोएडा फार्म हाऊस घोटाला, यमुना एक्सप्रेस वे घोटाला, नोएडा ग्रुप हाऊसिंग घोटाला और ग्रेटर नोएडा भूमि घोटाला हुआ है। पत्र में भाजपा नेताओं ने मांग की कि 2007 से उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के भाई आनंद कुमार की वित्तीय स्थितियों में हुई असाधारण वृद्धि की जांच की जरूरत है। बसपा सरकार के सत्ता में आने के बाद आनंद कुमार समूह की कंपनियों की विस्तार से जांच आवश्यक है। इस समूह में आनंद कुमार उनकी पत्नी विचित्र लेखा, सुखदेव कुमार, दीपक बसंल महिपाल राघव, मिश्रा और यादव सिंह शामिल है।
भाजपानेताओं ने दोनों विभागों को दिए पत्र में अपनी जांच पड़ताल के आधार पर सौपें गए दस्तावेजों में कहा है कि इस समूह में 125 से अधिक कंपनिया हैं, जिनके माध्यम से हजारों करोड़ रूपए का संदिग्ध लेन-देन हुआ है। इस समूह ने ऐसी छाया कंपनियों से लेन-देन दिखाया है जो या तो हैं ही नहीं, लापता हैं अथवा अवैध या अक्रियाशील हैं। दस्तावेजों के जरियें प्रमाण दिए गए की कुछ निजी कंपनियों के समूह को जिनकी पूंजी नहीं के बराबर थी, उन्हें कुछ अन्य प्राईवेट कंपनियों ने ऊंची दरों पर खरीदा और ऐसे लेन-देन में 10 लाख के शेयर 50 करोड़ में खरीदे गए।
यह भी जानकारी दी गई है कि एक लाख रूपये की पूँजी वाली शिवानंद रीयल स्टेट प्राईवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को वीरेंद्र जैन और भूषण भारत ने 142 करोड़ में खरीदा। इन कंपनियों ने हजारों करोड़ रूपए की आय लेन-देन वायदा बाजार और कमोडिटी एक्सचेंज के जरिये दिखाये हैं। करोड़ो रूपये का वित्तीय लेन-देन विभिन्न चरणों में किया गया है। भाजपा नेताओं ने दस्तावेजों के आधार पर ये निष्कर्ष निकाले हैं कि आनंद कुमार समूह ने 125 कंपनियों का जाल गत दो तीन सालों में फैलाया है। इस समूह में ज्यादातर ऐसी कंपनिया हैं जिनमें वास्तव में कोई व्यवसायिक गतिविधियां नहीं होतीं तथा बिना किसी व्यवहारिक व्यवसाय के हजारों करोड़, करोड़ का लेन-देन किया गया है।
पत्र में मांग की गई है कि इस पूरे मामले की जांच कर कार्रवाई की जाए। कंपनियों के अवैध कार्य और पैसो के लेन-देन की जांच हो, घोटाले से जुड़े कार्यो की जांच हो, सरकार को आडिट से दी गई अधूरी गलत जानकारियों की भी जांच की जाए, साथ ही आनंद कुमार और उनके समूह के प्रकरण में भी पूछताछ और जांच कर समूचित कार्रवाई की जाए। डॉ किरीट सौमैय्या के साथ सांसद प्रभुदयाल कठेरिया तथा हंसराज अहिर ने यह पत्र और दस्तावेज धनराज डायरेक्टर इन्वेस्टिगेशन एंड इंसपेक्‍शन कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय तथा अरूण कुमार निदेशक प्रवर्तन निदेशालय से मिलकर सौपें पत्र और दस्तावेजों की एक प्रति चैयरमैन सीबीडीटी वित्त मंत्रालय भारत सरकार को भी दी गई है।

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