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विजय दिवस पर सैनिकों का सम्मान

बलिदानों से भरा है उत्तराखंड का इतिहास-खंडूड़ी

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देहरादून में शहीद स्मारक/war memorial in dehradun

देहरादून। मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने सुभाष रोड वैडिंग प्वाइंट में विजय दिवस पर आयोजित सम्मान कार्यक्रम में 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों एवं उनके परिजनों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड का इतिहास सैनिकों के बलिदान की गाथाओं से भरा हुआ है। भारत के पहले विक्टोरिया क्रॉस पदक प्राप्त करने वाले नायक दरबान सिंह नेगी यहीं के थे। सन् 1947-48 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट को कमान करने वाले परमवीर चक्र विजेता सोमनाथ शर्मा, अक्षरधाम में अदम्य वीरता का परिचय देते हुए प्राणों की आहुति देने वाले सैन्य अधिकारी कीर्ति चक्र विजेता सुरजन सिंह और ताज होटल में प्राणों की आहुति देने वाले अशोक चक्र से सम्मानित सैन्य अधिकारी भी यहीं के थे, जो अपने कर्तव्यों को निभाते हुए मरणोपरांत वीरता चक्र से सम्मानित हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि 1971 की ऐतिहासिक विजय वाले युद्ध में उत्तराखंड के 255 सैनिक शहीद हुये थे और अदम्य साहस का परिचय देने वाले 68 उत्तराखंड के सैनिकों को विभिन्न वीरता पदकों से भारत सरकार ने सम्मानित किया था।
भुवन चंद्र खंडूड़ी ने उस दौर को याद करते हुए कहा कि सन 1971 में सीमाओं पर पाकिस्तान सेना ने योजनाबद्ध तरीके से अतिक्रमण किया था, जिसको विफल करने के लिए भारतीय सैनिकों ने देश रक्षा में अपना जीवन बलिदान कर दिया था। खंडूड़ी ने भारतीय सैनिकों के इस गौरवपूर्ण कार्य के लिए उन सैनिकों को श्रद्धाजंलि दी। उन्होंने कहा कि हमारे सैनिकों ने श्रीलंका में शांति और विभिन्न युद्धों में विजय हासिल कर, जो वीरता दिखाई है, वह उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है। उन्होंने देश की वीरता, एकता की आदर्श परंपरा को आगे बढ़ाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत एक महान देश है, जिसे समृद्ध संस्कृति, संस्कारों आदि विभिन्न क्षेत्रों में विश्वगुरू माना जाता रहा है। उन्होंने देश के इस गौरव को पुनः हासिल करने के लिए बढ़-चढ़कर कर्तव्य निभाने का आह्वान किया और कहा कि सैनिकों को केवल हमें विजय दिवस पर ही याद नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके परिवार की यथा संभव मदद भी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शहीद होने वाले सैनिकों को उनके पैतृक गांव में ही सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने की परंपरा की शुरूआत कारगिल युद्ध से की थी, जिसके लिए वे एक ऐतिहासिक पुरूष के रूप में जाने जाएंगे। उन्हीं के समय से शहीद सैनिकों के माता-पिता को पेंशन की योजना की शुरूआत हुई है।
विधायक गणेश जोशी ने भी विजय दिवस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक सैनिक पृष्ठभूमि के होने के कारण सैनिकों की समस्या से भली-भांति परिचित हैं और उनके नेतृत्व में सैनिकों और उनके परिवार के कल्याण हेतु अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की गई हैं। इस अवसर पर सेवानिवृत्त जनरल कौशिक ने कहा कि देश के सैनिकों को सम्मान देने का कार्य पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने किया है और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने सैनिकों के सम्मान की परंपरा को आगे बढ़ाया, इस कारण उत्तराखंड राज्य, देश के सैनिकों को सम्मान देने में अन्य राज्यों से सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सैनिकों का देश की एकता और अखंडता में अभूतपूर्व योगदान है। उन्होंने विजय दिवस समारोह के संयोजक और सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर एएन बहुगुणा को इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए साधुवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ विमल नौटियाल ने किया।
कार्यक्रम में लेफ्टीनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) आनंद स्वरूप, मेजर जनरल शमशेर सिंह, नीतू रॉय पत्नी शहीद मेजर भास्कर रॉय, इंदिरा गुरूंग पत्नी शहीद कर्नल राम बहादुर गुरूंग, हवलदार बगीचा सिंह, कर्नल जेपी रैना, शहीद कर्नल एएस खत्री के परिजनों सहित 15 सैन्य अधिकारी एवं शहीदों के परिजनों को शॉल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने गांधी पार्क शहीद स्मारक पहुंच कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सेवानिवृत्त सुबेदार मेजर आरएस बिष्ट, ऑनरेरी कैप्टन डीएस थापा, एमएस गुसाईं, नौटियाल, खेमबहादुर थापा, ब्रिगेडियर केजी बहल, कर्नल पीडी कुड़ियाल, ब्रिगेडियर बीएस गुरूंग, विधायक गणेश जोशी, मुस्लिम एजुकेशन मिशन के अध्यक्ष मेजर कादिर ने भी शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किया। मुख्यमंत्री खंडूड़ी ने गढ़ी डाकरा में शहीदों की स्मृति में बनाये गये सैनिक की मूर्ति का अनावरण किया, सैनिकों और शहीद सैनिकों के परिजनों को भी सम्मानित किया।

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