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रूस से दोस्ती आज भी खरी-मनमोहन ‌‌सिंह

भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता में कई समझौते

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मनमोहन सिंह और दिमित्री ए मेदवेदेव/manmohan singh and dmitry a. medvedev

मॉस्‍को। भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता पर रूस के राष्‍ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के साथ भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बयान में कहा है कि हमने व्‍यापक चर्चा की है जो रचनात्‍मक और मैत्रीपूर्ण माहौल में की गई है, हमने आपसी संबंधों की भी समीक्षा की, जो कि सर्वविदित है कि रूस के साथ बहुत प्रगाढ़ हैं, हमारी विशेष और महत्‍वपूर्ण साझोदारी न केवल समय की कसौटी पर खरी उतरी है, बल्कि इससे दोनों अर्थव्‍यवस्‍थाओं के त्‍वरित विकास में योगदान मिला है।
उन्होंने कहा कि हमने असैन्‍य परमाणु ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष, तेल,  प्राकृतिक गैस, विज्ञान और प्रौद्द्योगिकी, व्‍यापार तथा निवेश, शिक्षा और संस्‍कृति के क्षेत्रों में प्रगति की समीक्षा की। इन क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्‍ताक्षर भी किए गए हैं। हम अगले वर्ष उपयुक्‍त तरीके से भारत और रूस के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्‍थापना की 65वीं वर्षगांठ मनाने पर सहमत हुए हैं। रूस हमारे परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के विकास में एक आज़माया हुआ भागीदार रहा है। भारत और रूस दोनों उच्‍च स्‍तरीय परमाणु सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर रूस की परमाणु सुरक्षा की वकालत का भारत स्‍वागत करता है।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने बातचीत की और कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की तीसरी और चौथी यूनिट के लिए रूस से मिलने वाले ऋण के नियम और शर्तों पर हमने सहमति व्‍यक्‍त की है। हम परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग की रूपरेखा पर आगे प्रगति की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहें हैं। इस पर हमने 2010 में हस्‍ताक्षर किए थे। रक्षा मामलों में हमारा सहयोग एक नये स्‍तर पर पहुंच गया है, जिसमें मिलजुल कर डिजाइन, विकास तथा सह-उत्‍पादन किया जाता है। हम प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति से संतुष्‍ट हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने अपनी यह मंशा फिर दोहराई है कि आपसी व्‍यापार और निवेश संबंध बढ़ाए जाएं, फिलहाल हमारा आपसी व्‍यापार 9 अरब अमरीकी डॉलर का होता है, जो दोनों अर्थव्‍यवस्‍थाओं की संभावित क्षमता से काफी कम है। हम तेल और गैस, दूरसंचार, औषधि उद्योग, उर्वरकों, खनन, विज्ञान और टेकनोलॉजी और नए क्षेत्रों में ध्‍यान केंद्रित करना जारी रखेंगे। भारत-रूस विज्ञान एवं टेकनोलॉजी केंद्र की स्‍थापना मास्‍को में की ही जा चुकी है। भारत और रूस के संबंध अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व के हैं, हम संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद और ब्रिक्‍स जैसे अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर घनिष्‍ठ सलाह मश्विरा करते रहे हैं, भारत अगली ब्रिक्‍स शीर्ष बैठक की मार्च, 2012 में मेजबानी करेगा, जिसके लिए मैंने रूसी राष्‍ट्रपति मेदवेदेव को आमंत्रित किया है।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद, अंतरराष्‍ट्रीय सुरक्षा, समुद्री डकैती और नशीले पदार्थों की तस्‍करी के खतरों के बारे में हमारे एक जैसे विचार हैं। अफगानिस्‍तान के पुनर्निर्माण प्रयासों और उसे बिना किसी बाहरी हस्‍तक्षेप के अपना भविष्‍य खुद तय करने देने के बारे में हमारे लक्ष्‍य और उद्देश्‍य एक जैसे हैं। भारत और रूस दोनों ही इस क्षेत्र में स्थिरता और खुशहाली को प्रोत्‍साहित करने में गहरी रूचि रखते हैं और हम इस उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए घनिष्‍ठता से काम करने पर सहमत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया और उत्‍तरी अफ्रीका में महत्‍वपूर्ण घटनाक्रमों की हमने समीक्षा की है। इन क्षेत्रों की घटनाओं के बारे में हम एक दूसरे के संपर्क में रहने पर सहमत हुए हैं। हम दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि यूरोपीय यूनियन को यूरोजोन ऋण संकट और बाजार के आत्‍मविश्‍वास की बहाली पर ध्‍यान देने की जरूरत है। भारत रूस के साथ अपनी दोस्‍ती और सहयोग को बहुत महत्‍व देता है। हम दोनों ही इसे और मजबूत करने के लिए वचनबद्ध हैं और मेरा ख्‍याल है कि हम सही रास्‍ते पर हैं।

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