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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भूटान के प्रधानमंत्री जिग्मे वाई थिनले इस वर्ष चौथा प्रोफेसर हिरेन मुखर्जी स्मारक संसदीय व्याख्यान दे रहे हैं। वे संभवत: विश्व के सबसे नवीन लोकतंत्र के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री हैं, वे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे भारत के महान मित्र हैं, वाकपटु सांसद हैं और हमारे देश में उनके अनेक प्रशंसक हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भूटान में 2008 में हुए संसदीय चुनावों के बाद से प्रधानमंत्री थिनले अपनी जनता से मिले जनादेश को पूरा करने के लिए कार्य कर रहे हैं। भारत के लोग इस बात पर प्रसन्न हैं कि भूटान प्रगति, खुशहाली और समृद्धि के मार्ग पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री थिनले के साथ निकट संपर्क में काम करने का अवसर मिला। मुझे याद है कि उन्होंने पिछले वर्ष थिम्पू में कितनी सुयोग्यता के साथ सार्क शिखर सम्मेलन का पथ प्रदर्शन किया था। उस सम्मेलन का विषय था-हरित और प्रसन्न दक्षिण एशिया। हमने जलवायु परिवर्तन पर महत्वपूर्ण थिम्पू घोषणा पत्र और पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिन्होंने दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग की प्रक्रियाओं में एक नया और महत्वपूर्ण आयाम जोड़ा है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर भूटान के प्रधानमंत्री थिनले की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत और भूटान सबसे घनिष्ट मित्र और पड़ोसी हैं। यह मैत्री, प्रेम, विश्वास और पारस्परिक हित के मजबूत रिश्तों पर आधारित संबंध हैं और इसे भारत के लोग बहुत अच्छा मानते हैं। मनमोहन सिंह ने कहा कि विभिन्न अवसरों पर प्रधानमंत्री थिनले के साथ बातचीत से मुझे अत्यधिक आशा और विश्वास हुआ है कि मिलकर काम कर रहे हमारे दोनों लोकतंत्र और अधिक सुदृढ़ भागीदारी के लिए काम करने को कटिबद्ध हैं, जो हमारे लोगों की अधिक समृद्धि, आपसी सुरक्षा को बढ़ावा देंगे और मैत्री के हमारे प्राचीन संबंधों को सुदृढ़ बनाएंगे।