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देश को प्रणब मुखर्जी की जरूरत-प्रधानमंत्री

प्रणब मुखर्जी को के करूणाकरण प्रतिष्‍ठान पुरस्‍कार

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प्रणव मुखर्जी को के करुणाकरन फाउंडेशन का सर्वश्रेष्ठ प्रशासक पुरुस्कार/k. karunakaran best administrator award to pranab mukherjee

नई दिल्ली।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को बुधवार को नई दिल्‍ली में एक समारोह में, के करूणाकरण प्रतिष्‍ठान का सर्वश्रेष्‍ठ प्रशासक पुरस्‍कार-2011 प्रदान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रणब मुखर्जी को यह पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वाले पहले व्‍यक्ति के रूप में चुना जाना, वास्‍तव में बिल्‍कुल उचित है। प्रशस्ति पत्र के अनुसार यह पुरस्‍कार उन्‍हें ‘देश के लिए उत्‍कृष्‍ट सेवाएं’ देने के लिए प्रदान किया गया है। यह प्रतिष्‍ठान के करूणाकरण की याद में स्‍थापित किया गया था। करूणाकरण में वह सभी गुण थे, जो एक महान राजनीतिक नेता बनने के ज़रूरी होते हैं। वह राजनीतिक और प्रशासनिक कुशलता का सही मिश्रण थे, उनके मन में अपने लोगों के लिए स्‍नेह और महान देशभक्‍त तथा एक महान राष्‍ट्र निर्माता का दृष्टिकोण था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि करूणाकरणजी के साथ मेरे काफी पुराने संबंध थे तथा मैं समय-समय पर उनके ज्ञान से बहुत लाभान्वित हुआ, हालांकि वह केरल राजनीति में बेहद गहराई से जुड़े थे, मैं हमेंशा से उनकी मज़बूत राष्‍ट्रवादी आकांक्षाओं से प्रभावित था, मैं उन्‍हें एक ऐसे व्‍यक्ति का दर्जा देता था, जिसे स्‍थानीय और राष्‍ट्रीय राजनीति दोनों के उतार-चढ़ाव की गहरी समझ थी। केरल राज्‍य विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के चुनौतीपूर्ण समय में वह पार्टी का नेतृत्‍व करने के लिए आगे आए। ऐसी मुश्किल की घडि़यों में कई बार उन्‍होंने पार्टी को संभाला तथा उनके दृढ़ संकल्‍प ने अनुयायियों को उन पर विश्‍वास करने के लिए प्रोत्‍साहित किया। लोगों में उनके विश्‍वास तथा अपनी बात बेझिझक सबके सामने रखने के उनके स्‍वभाव की वजह से उन्‍हें यह सब हासिल हुआ।
मनमोहन सिंह ने कहा कि करूणाकरण अपने राज्‍य और लोगों के विकास के लिए काफी प्रयासरत थे तथा हर परियोजना को बाधाओं के बावजूद पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्‍प थे। उनके नेतृत्‍व के कारण तिरूवनंतपुरम में टेक्‍नोपार्क के आईटी केंद्र की स्‍थापना हो सकी, अपने एक अग्रणी प्रयास के तहत उन्‍होंने नेदुमबेसरी में कोचिन अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण में सार्वजनिक-निजी साझेदारी के मॉडल को अपनाया।
उन्होंने कहा कि करूणाकरण की तरह प्रणब मुखर्जी भी एक वयोवृद्ध नेता हैं। आज राजनीति में ऐसे बहुत ही कम लोग हैं, जो जन सेवा के उनके इतने लंबे और अनुकरणीय रिकॉर्ड की बराबरी कर सकते हैं, जो लोग उन्‍हें जानते हैं, वह उनके व्‍यापक ज्ञान, अद्भुत स्‍मृति और कड़ी मेहनत करने की उनकी लगन से परिचित हैं। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्‍हें इतिहास, कला और संस्‍कृति से संबंधित विषयों पर पढ़ना बेहद पसंद है तथा बंगाली मिठाई उनकी कमज़ोरी है। उन्होने कहा कि मुझे लगता है कि यूपीए का सफल प्रबंधन यूपीए की अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्‍व और प्रणबजी के कौशल के कारण हो पा रहा है। प्रणबजी मेरे सबसे महत्‍वपूर्ण सहयोगी हैं, हमने सरकार के सभी महत्‍वपूर्ण निर्णयों में एकसाथ मिलकर कार्य किया है, मैं सरकार को सुचारू रूप से चलाने में उनके योगदान के लिए धन्‍यवाद देता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संसदीय मामलों में प्रणबजी का ज्ञान अद्भुत है। यह दुर्भागयपूर्ण है कि हमारे पूरे प्रयास के बावजूद भी संसद सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है, मेरा मानना है कि संसद को सुचारू रूप से चलाने का काम सिर्फ सत्‍तारूढ़ दल का ही नहीं, बल्कि इसमें सभी विपक्षी पार्टियों को भी सहयोग करना चाहिए, हमें एकसाथ मिलकर काम करना चाहिए, ताकि निर्माणकर्ताओं ने संसद की जो भूमिका निर्धारित की थी, उसे सही तरीके से निभाया जा सके। उन्होने कहा कि मेरे एक अध्‍यापक, महान अर्थशास्‍त्री निकोलस कालडॉर अकसर कहा करते थे कि आर्थिक मॉडल जो कोई भी हो, राष्‍ट्र की सफलता और विफलता लोगों की कुशलता और ज़मीनी स्‍तर पर उसे कार्यान्वित करने वाले जिम्‍मेदार व्‍यक्तियों पर निर्भर करती है। देश के सामने कई चुनौतियां हैं। हमें देश का मार्गदर्शन करने के लिए करूणाकरण और प्रणब मुखर्जी जैसे सशक्‍त और बुद्धिमान लोगों की ज़रूरत है।

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