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हर्रावाला में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय

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शिलान्यास/foundation

देहरादून। मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने बृहस्पतिवार को देहरादून के हर्रावाला में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया। आयुर्वेद को उन्होंने ज्ञान का भंडार बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र में व्यापक अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड को प्रकृति ने जड़ी-बूटियों के रूप में अपार संपदा सौंपी है, इसका समाज के हित में व्यापक उपयोग किए जाने के लिए गंभीरता से प्रयास करने होंगे।
कीड़ा-जड़ी का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में पाई जाने वाली बहुमूल्य जड़ी बूटियों का अवैध दोहन और तस्करी होती है, इससे एक ओर औषधीय पादपों का समुचित उपयोग नहीं हो पाता है, वहीं सरकार को भी राजस्व की हानि होती है। मुख्यमंत्री ने पौराणिक उद्धरण देते हुए कहा कि भारत में प्राचीनकाल से ज्ञान-विज्ञान अपने उच्चतम स्तर पर था, पहले की पौराणिक कल्पनाएं अब विज्ञान की कसौटी पर खरी उतर कर हकीकत का रूप ले रही हैं। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में उच्च स्तरीय अनुसंधान किए जाएंगे। इसकी ख्याति न केवल देश में बल्कि पूरे विश्व में होगी। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को विश्वविद्यालय के भवन का निर्माण इस प्रकार करने के निर्देश दिए कि इसमें देवभूमि उत्तराखंड की झलक दिखाई दे। खंडूड़ी ने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़कर ही सच्चे अर्थों में देश और समाज का विकास किया जा सकता है।
कृषि और पशुपालन मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जैव विविधता की दृष्टि से उत्तराखंड देश का सबसे संपंन राज्य है, उत्तराखंड को हर्बल स्टेट के रूप में विकसित करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं, जड़ी-बूटी उत्पादक किसानों से उनके उत्पाद उचित कीमत पर खरीदने के लिए 2 करोड़ रुपये का रिवाल्विंग फंड बनाया गया है, पतजंलि संस्थान के साथ एमओयू भी किया गया है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, राज्य को एक नई पहचान देगा।
आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्येंद्र प्रसाद मिश्र ने बताया कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में बायोकैमस्ट्री, बायोटेक्नोलॉजी, फाइटो कैमस्ट्री, टैक्सोनॉमी, बायोफिजिक्स जैसे विषयों में आयुर्वेद विषय के साथ अनुसंधान एवं पीएचडी करायी जाएगी, यह विश्वविद्यालय पंचकर्म चिकित्सा, क्षारसूत्र चिकित्सा, रसायन चिकित्सा, मर्म चिकित्सा, आहार-विहार पथ्यापथ्य का एक विशिष्ट वैश्विक केंद्र होगा। इस अवसर पर निदेशक आयुष पूजा भारद्वाज, उमेश अग्रवाल, जितेंद्र नेगी, कैप्टन वाईपी ध्यानी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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