श्रीगोपाल नारसन
उज्जैन। मध्य प्रदेश की यह धर्मनगरी एक ऐसा शहर है, जहां शिप्रा नदी उत्तर की तरफ बह रही है, इसलिये यहां शिप्रा को गंगा भी कहा गया है, इस नदी के घाट को गंगाघाट की मान्यता है और यहां प्रतिदिन हरिद्वार मे हर की पौड़ी की तरह ही गंगा की आरती भी होती है। इसी गंगाघाट के किनारे स्थित है मौन तीर्थ धाम। एक ऐसा धाम जो न सिर्फ वेद ज्ञान की पाठशाला है, बल्कि आध्यात्म चिंतन, मानस वंदन का अद्भुत केंद्र भी है। मौनी बाबा के दिग्दर्शन और श्रीराम चरितमानस कथा के मर्मज्ञ सुमन भाई के नेतृत्व मे यह धाम राष्टृ और समाज को आध्यात्मिकता के रास्ते पर ले जाकर वेद ज्ञान के माध्यम से चरित्र निर्माण का पाठ पढ़ा रहा है। सुमन भाई के शब्दो मे आज मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का चरित्र जन-जन को आत्मसात कराने के लिये श्रीराम को मंदिरों से बाहर लाकर चौराहों पर प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता है। इसी आवश्यकता को पूरी करने में लगे सुमन भाई जगह-जगह रामकथाओं के माध्यम से राम को आत्मसात कराने का अभियान चलाये हुए हैं। उनके मौन तीर्थ धाम मे करीब एक सौ बाल विद्यार्थी गुरूकुल वातावरण मे वेद की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
उज्जैन का यह मौनतीर्थ धाम, वेद विद्यालय के रूप मे वेदज्ञान का प्रकाश फैला रहा है, जिसकी जितनी प्रशंसा हो वह कम है। आधुनिक सुख-सुविधाओं और प्राचीन गुरूकुल परंपरा का इस मौन तीर्थ धाम मे अद्भुद संगम है। विद्यार्थी, पीली धोती और सफेद कुर्ते मे शुद्घ आचरण और वेद का अध्ययन कर अच्छे नागरिक बनने की तैयारी कर रहे हैं। इस धाम की गौशाला भी निराली है, जहां 60 गायों को उनके अलग-अलग नामो से पुकारा जाता है, विभिन्न देवियों और नदियों के नाम से रखे गए इन नामों की नेमप्लेट भी उनके सामने लगी है। यानी आप नेमप्लेट देखकर भी गाय को उसके नाम से जान और पुकार सकते हैं। मौनतीर्थ आश्रम मे कल्पवृक्ष के दर्शन भी होते हैं, जिसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिये वहां नंगे पैर जाया जाता है।
मौनतीर्थ धाम मे उस शालीग्राम के दर्शन भी सहजता के साथ होते है, जिसे कभी गोस्वामी तुलसीदास ने अपने हाथों से चढ़ाया था। इस धाम में नवग्रह का अनूठा मंदिर है। नवग्रहों की पूजा कर, उन्हे शांत करने की यज्ञशाला भी भव्यता के साथ बनाई गई है। धाम परिसर मे वाग्देवी का मंदिर आध्यात्मिक आस्था जगाता है, तो मानस कथा व्यास सुमन भाई से भगवान राम की आदर्श कथा सुनने के लिये भव्य सभागार भी बनाया गया है। इतना ही नही मौनतीर्थ सेवार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान मे कला, साहित्य, संस्कृति, वीरता, राष्टृभक्ति मे कुछ अच्छा करने वालों को प्रोत्साहित भी किया जाता है। यहां के विदुषी विधोत्तमा, महर्षि जटायु और मानस वंदन नाम से प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर दिये जा रहे सम्मानो की अपनी अलग पहचान है।
कई एकड़ क्षेत्रफल मे पल्लवित इस मौनतीर्थ धाम से कई धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्र-पत्रिकाएं भी प्रकाशित होती हैं, जिनके माध्यम से मौनी बाबा के संदेशों को देश-विदेश तक पहुंचाया जाता है, लेकिन शिप्रा नदी के प्रवाह में आए ठहराव या फिर धीमी गति के कारण नदी का जल शुद्घ न रह पाने से साधकों की भावनाएं आहत होती दिखाई पड़ती हैं। इस पर मध्य प्रदेश सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।