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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आशा व्यक्त की है कि कृषि उत्पादन और उत्पादकता में सुधार करके देश की अर्थव्यवस्था जल्दी ही खाद्य वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने में सक्षम होगी और इससे इन उत्पादों की मुद्रास्फीति को नियंत्रण में किया जा सकेगा। गुरूवार को व्यापार और उद्योग परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, बाहरी माहौल ने हमारे सामने महत्वपूर्ण चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, हमें यूरोजोन के गंभीर संकट की संभावना का लगातार सामना करना पड़ रहा है, अमेरिका में विकास की गति धीमी है, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव और तेल की कीमतों में वृद्धि का मुद्दा भी इससे जुड़ा है।
उन्होंने रूपये के अवमूल्यन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है और अस्थिरता को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा है कि सरकार विकासोन्मुख आर्थिक माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हांलाकि हमारे जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था और गठबंधन की राजनीति में अक्सर सरकार के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह प्रमुख सावर्जनिक मुद्दों पर व्यापक सहमति बनाए, इसमें कई बार लंबा समय लग सकता है, लेकिन हमारी दिशा और उद्देश्य स्पष्ट है। यूपीए सरकार के सात साल के शासन के दौरान देश उदारीकरण के रास्ते पर है और गरीबों और समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के लिए सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। सरकार की गरीबों के हित में बनाई गई नीतियों, कौशल विकास और कृषि में नई जान डालने से उद्योग को गति मिलने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अनेक ऐसी समस्याओं का सामना कर रहा है, जिसका समाधान करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र, बंदरगाह क्षेत्र, परिवहन क्षेत्र, गैस और कोयला की आपूर्ति की तरफ ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने भ्रष्टाचार से निपटने और बेहतर शासन देने का आश्वासन दिया और सावर्जनिक हित के मुद्दों पर सरकार की कोशिशों में उद्योगपतियों से सहयोग देने को कहा। उन्होंने कहा कि ओद्यौगिक निवेश और ओद्यौगिक विकास निवेशकों की उम्मीदों पर निर्भर करता है। प्रधानमंत्री ने आर्थिक प्रबंध के पहलुओं में उद्योगपतियों से सुझाव मांगे हैं।