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नई दिल्ली। आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री कुमारी सैलजा ने फुटपाथ विक्रय पर केंद्रीय कानून हेतु राष्ट्रीय मंत्रणा की एक दिवसीय कार्यशाला में कहा है कि फुटपाथ विक्रताओं को आम जनता के हितों को नुकसान पहुंचाए बिना अपना व्यवसाय करने का संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि फुटपाथ विक्रय स्व-रोज़गार का माध्यम है तथा यह बिना सरकारी सब्सिडी के शहर से गरीबी उपशमन का भी एक उपाय है।
आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने 2009 में शहरी फुटपाथ विक्रय पर राष्ट्रीय नीति प्रस्तुत की थी। इस नीति के अंतर्गत कोई भी पेशा या व्यवसाय, व्यापार करना हर नागरिक का अधिकार है और इस अधिकार से फुटपाथ विक्रेताओं को वंचित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि फुटपाथ विक्रेता को परेशानी का सामना इसलिए करना पड़ता है, क्योंकि शहरों में फुटपाथ विक्रय के लिए कोई जगह निर्धारित नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में फुटपाथ विक्रय की सुविधा के लिए एक योजना का प्रस्ताव भी किया जा रहा है। इस बैठक में मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री बाबूलाल गौर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार में मंत्री एके वालिया, आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय में सचिव अरुण कुमार मिश्रा, जेएनएनयूआरएम के मिशन निदेशक और अपर सचिव डॉ पीके मोहंती, राजीव आवास योजना की संयुक्त सचिव अरुणा सुंदराजन, विशेषज्ञ और फुटपाथ विक्रेता संघ के सदस्य भी उपस्थित थे।