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देहरादून। एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने ‘भ्रष्टाचार और उत्तराखंड का लोकायुक्त विधेयक’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने कहा कि देश को सशक्त, स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकपाल की आवश्यकता है, इसके लिए लोकपाल की वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2011 को देश के इतिहास में जागृति के वर्ष के तौर पर याद किया जाएगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की लड़ाई से प्रेरित होकर बड़ी संख्या में युवा वर्ग आगे आया है, लोगों को विश्वास होने लगा है कि भ्रष्टाचार से न केवल लड़ा जा सकता है, बल्कि इसे हराया भी जा सकता है। उत्तराखंड में लोकायुक्त विधेयक की पृष्ठभूमि के बारे में मुख्यमंत्री ने बताया कि फौज की ट्रेनिंग से मिले संस्कारों से उन्हें भ्रष्ट आचरण के खिलाफ काम करने की प्रेरणा मिली।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बतौर सड़क परिवहन मंत्री के रूप में किए कार्य को मिली प्रशंसा से उन्हें प्रोत्साहन मिला। वर्ष 2007 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर राज्य में भर्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए अनेक पदों पर साक्षात्कार की व्यवस्था समाप्त की गई और अभ्यर्थियों को उत्तरतालिका की कार्बन कापी अपने साथ ले जाने की अनुमति दी गई। वर्ष 2011 में दोबारा मुख्यमंत्री बनने पर भ्रष्टाचार के खिलाफ पुख्ता व्यवस्था करने के लिए उन्हें अन्ना हजारे के आंदोलन से प्रेरणा मिली। शपथ ग्रहण करने के दो घंटे बाद ही पहली कैबिनेट बैठक में सशक्त लोकायुक्त विधेयक और लोक सेवा अधिकार अधिनियम लाए जाने का निर्णय लिया गया, इसका परिणाम सभी के सामने है। पूरे देश में उत्तराखंड के लोकायुक्त विधेयक की प्रशंसा की गई है और केंद्र व दूसरे राज्यों से इसे मॉडल के रूप में अपनाने की अपेक्षा की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के लोकायुक्त विधेयक में लोकायुक्त को तानाशाह बनने से रोकने के लिए इसे एक व्यक्ति की बजाय संस्था का रूप दिया गया है, लोकायुक्त को प्रशासनिक व वित्तीय स्वायत्ता दी गई है। लोकायुक्त के चयन में पूरी सावधानी बरते जाने की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बार पूरी ईमानदारी व निष्ठा से किए गए कार्य भी आगे जाकर गलत साबित हो सकते हैं, इसलिए भ्रष्टाचार के खिलाफ कडे़ कदम उठाए जाते समय इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। गोष्ठी में हिंदुस्तान के संपादक शशि शेखर, टीम अन्ना के अहम सदस्य मनीष सिसौदिया, डॉ हरबंस दीक्षित, डॉ देवेंद्र शर्मा, पर्यटन सलाहकार प्रकाश सुमन ध्यानी और उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक ने भी भाग लिया।