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दुर्लभ वन्य पक्षियों के ये तस्कर और हत्यारे

हत्यारे तस्करों से बरामद हुए दुर्लभ पक्षी

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हाजी मोहम्मद फरीद-मोहम्मद आमिर उर्फ राजू/haji mohammed farid and mohammad khan raju

लखनऊ। पहचानिए इन्हें ! ये संरक्षित दुर्लभ पक्षियों के तस्कर और हत्यारे हैं। एसटीएफ उत्तर प्रदेश ने दुलर्भ श्रेणी के पक्षियों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अवैध व्यापार करने वाले इन दो लोगों को लखनऊ एवं उन्नाव में गिरफ्तार करने एवं अवैध व्यापार के लिये जमा किये गये पक्षियों को मुक्त कराने में सफलता प्राप्त की है। एसटीएफ के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति हैं-मोहम्मद आमिर उर्फ राजू पुत्र गुलाम हसन, निवासी 91 बबुआगंज, मीर शिकार टोली, शेरशाह रोड, अल्ला बक्सपुर थाना आलमगंज पटना सिटी (बिहार) इसकी लखनऊ में गिरफ्तारी हुई है, जबकि हाजी मोहम्मद फरीद पुत्र मोहम्मद सज्जाद, निवासी 865 तालिब सराय थाना कोतवाली उन्नाव। इसकी उन्नाव में गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने इनके कब्जे से गिरफ्तार अभियुक्त से बरामदगी 4 संरक्षित अप्रवासी क्रेन, 160 संरक्षित चित्तीदार बाज, 3 मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। अवैध रूप से पकड़े गये इन पक्षियों को इन लोगों ने पैक करने के जाल में निर्दयतापूर्वक बंद कर रखा था।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय प्रकाश ने बताया कि सूचना प्राप्त हो रही थी कि वन्य जीव जंतु संरक्षण अधिनियम 1972 के शेड्यूल एक से चार में संरक्षित पशु पक्षियों का उनके प्राकृतिक निवास से शिकार कर उन्हें बंदी बनाकर उनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी की जा रही है। वन्यजीव संरक्षण की महत्ता को देखते हुए इस सूचना को विकसित करने की जिम्मेदारी पुलिस उपाधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी को दी गई। अरविंद चतुर्वेदी ने पाया कि इस तस्करी में देश-विदेश के अनेक अपराधी संगठित होकर आर्थिक लाभ के लिए संरक्षित पशु पक्षियों का शिकार किये जाने को प्रोत्साहित करते हैं और उनकी बड़े स्तर पर तस्करी करते हैं। अधिनियम में उल्लिखित विभिन्न श्रेणी के पशु पक्षी उत्तर प्रदेश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में पकड़े जाने के बाद पटना, कोलकाता, अहमदाबाद आदि स्थानों से होते हुए बांग्लादेश, सउदी अरब, पाकिस्तान आदि देशों में अवैध रूप से भेजे जाते हैं।
स्थानीय सूत्रों को विकसित कर लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव और कानपुर में संरक्षित पशु पक्षियों का अवैध व्यापार करने वाले व्यक्तियों को चिन्हित किया गया। इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण तस्कर के रूप में हाजी मोहम्मद फरीद को चिन्हित किया गया और उसके क्रिया कलापों की निकट निगरानी आरंभ की गयी। संकलित अभिसूचना के आधार पर निरीक्षक पीके मिश्रा के नेतृत्व में गठित टीम ने 22 दिसंबर 2011 को दिन में जनपद लखनऊ के थाना कृष्णानगर क्षेत्रांतर्गत पिकेडली तिराहा के पास से राजू को गिरफ्तार किया, उसके पास से 4 संरक्षित अप्रवासी क्रेन बरामद हुए। मोहम्मद आमिर उर्फ राजू ने पूछताछ में बताया कि वह मूल रूप से पटना का रहने वाला है और लगभग 6 वर्ष से हाजी फरीद, के साथ मिलकर संरक्षित पक्षियों का अवैध व्यापार कर रहा है। बरामद पक्षी भी हाजी फरीद ने ही उसे बेचे थे, जिन्हें वह पटना ले जा रहा था और आगे ऊंचे दामों पर कोलकाता के तस्करों के माध्यम से विदेश भेजने की तैयारी में था।
जूट के बैग में अत्यन्त निर्दयतापूर्वक बांध कर रखे गये पक्षियों को तत्काल चिकित्सा सहायता के लिए लखनऊ चिड़ियाघर भेजा गया। राजू से पूछताछ के दौरान लखनऊ के भी कुछ बड़े तस्करों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है जिस पर अलग से कार्यवाही प्रचलित है। मोहम्मद आमिर उर्फ राजू ने पूछताछ के दौरान गोल्डन पीजेंट, सिल्वर पीजेंट, लेडी एमरेस्ट, मकऊ, सुर्खाब, बहरी, बजरी, काकाटुआ, नकाबपोश आदि चिड़ियों का अवैध व्यापार होना बताया। मोहम्मद आमिर से प्राप्त जानकारी पर एसटीएफ की एक टीम ने उन्नाव में पूर्व से विकसित सूचना के आधार पर मोहम्मद फरीद को उसके घर से 160 चित्तीदार बाज संरक्षित पक्षियों के साथ गिरफ्तार किया।
पूछताछ पर मोहम्मद फरीद ने बताया कि उसका संपर्क उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के बहेलियों से है, जिनसे विभिन्न प्रकार के संरक्षित पक्षियों को शिकार करके पकड़ा जाता है और देश के अनेक शहरों में बेच दिया जाता है। उसने कोलकाता, पटना, अहमदाबाद आदि स्थानों पर पक्षियों का अवैध व्यापार करने वाले अनेक तस्करों के नाम बताये हैं जिनके संबंध में अलग से कार्यवाही की जा रही है। इस संबंध में थाना कृष्णानगर जनपद लखनऊ पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 एवं वि‌भिन्न धाराओं में मुकदमें पंजीकृत कराये गये हैं।

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