स्वतंत्र आवाज़
word map

हिंदुओं का रोज़गार भी छीनने का षडयंत्र

मजहब आधार पर आरक्षण देश को तोड़ देगा

विहिप ने किया मुस्लिम आरक्षण का पुरज़ोर विरोध

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

लखनऊ। विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संगठन महामंत्री दिनेश चंद्र ने यूपीए सरकार की सच्चर कमेटी की सिफारिशों की आड़ में, मजहब के आधार पर हिंदू समाज की पिछड़ी जाति के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण में से 4.5 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के लिए निर्धारित आरक्षण में से भी कुछ भाग मुस्लिम समाज को देने का पुरज़ोर विरोध किया है। दिनेश चंद्र ने कहा कि मजहब आधारित आरक्षण भारतीय संविधान के विरूद्ध है, भारत की एकता अखंडता के लिए खतरा और देश में अलगावाद की भावना जागृत करने वाला है। इसके क्रियान्वयन से देश के पुनः विभाजन का भी खतरा है।
लखनऊ में मीडिया से दिनेश चंद्र ने कहा कि मुसलमानों की पिछड़ी जातियों को पहले से ही हिंदू पिछड़ा वर्ग कोटे में आरक्षण प्राप्त है। मुस्लिम शिक्षा संस्थानों को सरकारी अनुदान भी मिलता है, फिर भी ऐसे संस्थानों में हिंदू एससी, ओबीसी युवकों के लिए आरक्षण का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है। मुस्लिम एवं ईसाईयों के विकास के बहाने उनके तुष्टिकरण के लिये तीन-तीन आयोग बनाये गये हैं, फिर भी एक और आरक्षण देने की सिफारिश केवल वोट बैंक की राजनीति ही है, इसलिए यह संविधान की मूल भावना के विपरीत है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में परिचर्चा के दौरान डॉ भीमराव अंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और चक्रवर्ती राजगोपालाचारी सहित वरिष्ठ नेताओं ने मजहब आधारित आरक्षण की मांग का सर्वसम्मति से विरोध किया था, इतना ही नहीं प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 27 जून, 1961 को देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखकर ‘मजहब आधारित आरक्षण’ को नकार दिया था।
उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग कोटे से मुसलमानों को आरक्षण देने से संपूर्ण हिंदू समाज को भयंकर परिणाम भोगने पड़ेंगे। पिछड़ी जातियों के कमज़ोर लोगों को बहुत भारी आर्थिक, राजनैतिक और शैक्षणिक हानि होगी। भविष्य में आबादी के अनुपात में मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए आरक्षण की मांग उठाई जायेगी, जो देश को विभाजन के कगार पर खड़ा कर देगी। मजहबी उन्माद, वर्ग संघर्ष एवं दंगा आदि की घटनाएं बढ़ेंगी। पिछड़ी जातियों के आर्थिक अनुदानों में से मुस्लिमों की हिस्सेदारी हो जाने के कारण पिछड़ा वर्ग और अधिक कंगाल एवं बेरोज़गार हो जायेगा। आर्थिक क्षेत्र में पिछड़े वर्ग की वर्तमान भागीदारी व्यवस्था और उद्योग व्यापार में पिछड़े वर्ग को मिलने वाली सहायता मुस्लिमों में बटेगी। अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम एवं ईसाई लॉबी द्वारा भारत के हिंदू युवकों को अपने-अपने मजहब में धर्मांतरित करके अपनी जनसंख्या बढ़ाकर, भारत को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का युद्ध क्षेत्र बनाए जाने की संभावना बढे़गी और धर्मांतरण को बढ़ावा मिलेगा।
दिनेश चंद्र ने कहा कि आज ओबीसी का आरक्षण छीना जा रहा है, भविष्य में अनुसूचित जाति का आरक्षण छीनकर मुस्लिम और ईसाई को दिया जायेगा। अनुसूचित जनजाति का आरक्षण ईसाई को दे दिया गया है, अब भारत के संविधान में मजहब के आधार पर संशोधन करके, हिंदुओं का रोज़गार छीनकर, मुसलमानों और ईसाइयों को देने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। उन्होंने मांग की है कि जस्टिस रंगनाथ मिश्र आयोग एवं सच्चर कमेटी की सिफारिशें, जो सामाजिक सौहार्द को नष्ट करने वाली एवं अलगाववाद को बढ़ाने वाली हैं, तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी जाएं। तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में मुस्लिम समाज की गरीबी का बहाना बताकर, वोट बैंक की घृणित नीति के अनुसार, जो आरक्षण दिया गया है, उसको भी रद्द किया जाए। ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण में से मुसलमानों को आरक्षण न दिया जाए। इस्लाम में जाति नहीं है, तो आज 27 प्रतिशत ओबीसी के आरक्षण में मुसलमानों की जो जातियां सम्मिलित हैं, उनको भी हटाया जाए। अनुसूचित जाति के आरक्षण से मुस्लिम व ईसाइयों को आरक्षण न दिया जाए।
अनुसूचित जनजाति के आरक्षण से ईसाइयों को हटाया जाए। भारतीय संविधान ने मजहब के आधार पर आरक्षण को अस्वीकार किया है, इसलिए मजहब के आधार पर आरक्षण की सिफारिश एवं मांग करने वालों के विरूद्ध देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए। दिनेश चंद्र ने हिंदू समाज का आह्वान किया कि हिंदू समाज में जन्मी अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी सभी मिलकर समस्त हिंदू समाज की रोजी-रोटी छीनने वाली, ईसाई वोट बैंक आधारित राजनीति को परास्त करें। राष्ट्र की एकता अखंडता में विश्वास रखने वाले सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संस्थाओं से विश्व हिंदू परिषद ने अनुरोध किया है कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में संगठित होकर इस सिफारिश को लागू किये जाने का पुरज़ोर विरोध करें और आंदोलन में सक्रिय सहभागी बने।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]