स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
चेन्नई। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विख्यात गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 125वीं जयंती समारोह को संबोधित किया और कहा कि श्रीनिवास रामानुजन की असाधारण प्रतिभा ने पिछली सदी के दूसरे दशक में गणित की दुनिया को एक नया आयाम दिया है, ऐसे प्रतिभावान तथा गूढ़ ज्ञान वाले पुरूष और महिलाओं का कभी कभार जन्म होता है। पाश्चात्य गणितज्ञ जीएस हार्डी ने श्रीनिवास रामानुजन को यूलर, गॉस, आर्किमिडीज़ तथा आईज़ैक न्यूटन जैसे दिग्गजों की समान श्रेणी में रखा था। उन्होंने कहा कि रामानुजन के बाद देश के काफी गणितज्ञों ने उच्च स्तर पर प्रदर्शन करके अपना नाम कमाया है, हालांकि यह चिंता का विषय है कि हमारे जैसे इतने बड़े देश में सक्षम गणितज्ञों की संख्या काफी कम है, पिछले तीन दशकों से ज्यादा गणित में प्रतिभावान युवक और युवतियों ने इस क्षेत्र में आगे कार्य नहीं किया, इससे स्कूल और कॉलेजों में गणित के अच्छे शिक्षकों में कमी हुई है, हमारे समाज में यह आम धारणा है कि गणित के संबंध में आकर्षक करयिर के अवसर नहीं हैं, यह धारणा बदली जानी चाहिए, यह धारणा पिछले कुछ वर्षों में सही समझी जा सकती थी, लेकिन आज गणितज्ञों के पास कई नए करियर अवसर उपलब्ध हैं और हाल के वर्षों में अध्यापन का पेशा अपने आप में बहुत आकर्षक बन गया है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि गणित ने मानव इतिहास में बौद्धिक क्षेत्र में अपनी एक स्वतंत्र जगह बनाई है, यह पहचान, ईसा पूर्व सहस्राब्दी के दूसरे भाग में और प्रगाढ़ हुई, इसके लिए ग्रीस में हुए मुख्य विकास को श्रेय जाता है, इस अवधि में भारत ने भी यूनानियों के तरीकों से हटकर गणित के क्षेत्र में मुख्य भूमिका निभाई थी, आम युग की प्रारंभिक शताब्दियों में भारत गणित से संबधित विकास में अग्रणी था, पांचवी शताब्दी में आर्यभट्ट, उसके बाद ब्रह्मगुप्त को महान गणितज्ञों की श्रेणियों में रखा जाता है, हमने दुनिया को शून्य से अवगत कराया, यह यकीनन मानव इतिहास में एक महत्वपूर्ण गणित संबंधी विकास है। उन्होंने कहा कि आर्यभट्ट के बाद लगभग एक हज़ार वर्ष के लिए भारतीय गणितज्ञ सबसे आगे बने रहे। इस अवधि में महान गणितज्ञों की श्रेणी में आखिरी नाम केरल के माधव का है। मैं समझता हूं कि माधव ने कैलकुलस के से जुड़े ज़रूरी हिस्सों की खोज न्यूटन और लेब्निटिज़ से दो शताब्दी पहले ही कर दी थी। हालांकि उनके कार्य को उनके द्वारा निर्मित केरल में एक स्कूल के बाहर नहीं जाना गया। वह स्कूल दुर्भाग्यवश 16वीं सदी के मध्य के बाद मौजूद नहीं रहा।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि अगली कुछ सदियों तक देश की बौद्धिक गतिविधियां कम होती गईं, 19वीं शताब्दी के प्रारंभिक दौर में अधिक ध्यान मानविकी में दिया जाने लगा और इस शताब्दी के अंत में भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में रूचि दिखानी शुरू की, 20वीं सदी के दूसरे दशक में भारत ने श्रीनिवास रामानुजन के कारण एक बार फिर से विश्वस्तरीय गणितज्ञ बनाने का दावा किया, रामानुजन आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि से थे तथा गणित में बहुत कम प्रशिक्षण के बावजूद भी उनकी प्रतिभा ने उन्हें महानता के शिखर पर पहुंचाया, पूरे देश को उन पर गर्व है और कई भारतीय उनसे प्रेरित हुए हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु का नि:संदेह उन पर ज्यादा हक है, क्योंकि वह एक तमिल थे। सर सीवी रमन और सुब्रमणयम चंद्रशेखर के साथ रामानुजन, विज्ञान और गणित के उन महान व्यक्तियों में शुमार हैं, जो तमिलनाडु और भारत ने आधुनिक समय में पूरी दुनिया को दिए हैं, रामानुजन की कहानी, केंब्रिज गणितज्ञ जीएच हार्डी, जो उनकी पहचान दिलाने के लिए जिम्मेदार थे,का उल्लेख किए बिना पूरी नहीं की जा सकती, जीएच हार्डी और रामानुजन के गहरे संबंधों की कहानियां गणित की लोककथाओं का एक हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि रामानुजन की रोमांचक और प्रोत्साहित करने वानी कहानियां पूरे विश्व को बताई जानी चाहिएं, प्रोफेसर राबर्ट केनिगल, जिन्होंने रामानुजन की एक उत्कृष्ट जीवनी लिखी है, उन्हें सम्मानित करने के लिए यह अवसर चुना गया है, यह बेहद खुशी की बात है और वह आज सबके बीच उपस्थित भी हैं, मैं उनका अभिवादन करता हूं तथा यह समझता हूं कि उनकी पुस्तक ने पूरे विश्व के लोगों के बीच रामानुजन को पहचान दिलाई। रामानुजन के नोटबुक के नए संस्करण को भी इस अवसर पर जारी किया जा रहा है, यह रामानुजन की चेन्नई में हाथ से लिखे अप्रकाशित गणितीय कार्य की फोटो प्रतिकृतियां हैं, इसकी मूल प्रतियां मद्रास विश्वविद्यालय में हैं और मैं विश्वविद्यालय प्राधिकरण को इन्हें अपने अभिलेखागार में संभाल कर रखने के लिए बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सरकार की विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आशाएं हैं और सरकार ने विविध प्रकार की वैज्ञानिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नीति बनाई है, अपनी परंपरा को देखते हुए हम स्वभाविक रूप से गणित को अधिक महत्ता देते हैं। प्रधानमंत्री ने रामानुजन की जयंती को सालभर मनाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को बधाई दी। उन्होंने कहा कि महान गणितज्ञ को श्रद्धाजंलि देने के लिए सरकार ने उनके जन्मदिन 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस और 2012 के पूरे वर्ष को राष्ट्रीय गणित वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की गणित के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी और गौरवशाली परंपरा है, जिसे प्रोत्साहित और बढ़ाने की ज़रूरत है, गणितीय समुदाय को देश में अच्छे गणितज्ञों की कमी को पूरा करने के लिए उपाय ढूंढने चाहिएं, इसका प्रभाव आम जनता तक पहुंचना चाहिए, कई मायनों में गणित को विज्ञान की मां का दर्जा दिया जा सकता है, प्राकृतिक विज्ञान का गणित के साथ बहुत पुराना संबंध है, जैविक विज्ञान का सौ साल पहले तक गणित के साथ इतना इस्तेमाल नहीं होता था, पर बाद में गणितीय हस्तक्षेप से जीव विज्ञान पर गहरा असर पड़ा, गणित ने सामाजिक विज्ञान को भी बहुत बड़े रूप में प्रभावित किया है, मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय गणित दिवस के दौरान होने वाली गतिविधियों में गणित को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि रामानुजन की कहानी पिछले दशकों में विश्वविद्यालय की मूल्यांकन प्रणाली की कमी को दर्शाती है पर उसके साथ यह रामनुजन जैसे व्यक्तियों का ख्याल रखने में लचीलापन भी दर्शाती है, उसके बाद से कई बदलाव हुए हैं, लेकिन अभी भी ऐसी प्रतिभाएं हैं, जिनका सही तरीके से मूल्यांकन किया जाना चाहिए, हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों को इस समस्या के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, रामानुजन जैसा प्रतिभाशाली व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी चमक बिखेरेगा, लेकिन हमें ऐसी प्रतिभाओं को भी उत्साहित करना चाहिए, जो रामानुजन जैसी क्षमता न रखते हों।