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चेन्नई। तमिलनाडु के कराईकुडी अलगप्पा विश्वविद्यालय में रामानुजन सेंटर फॉर हायर मैथेमेटिक्स के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन भारत और तमिलनाडु के महान सपूत थे और विश्व के महान गणितज्ञों में उनका स्थान है। वे इतने योग्य थे कि आर्थिक परेशानियों और गणित में बेहद कम औपचारिक प्रशिक्षण के बावजूद उनकी प्रतिभा उज्जवल बनी रही। इस वर्ष हम रामानुजन की 125वीं जयंती का समारोह मना रहे हैं और इसलिए यह बेहद उपयुक्त है कि इस केंद्र का नाम उनके नाम पर रखा गया है। रामानुजन की जयंती को हर वर्ष राष्ट्रीय गणित दिवस के रुप में और वर्ष 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष के रूप में मनाने का फैसला किया गया है।
उन्होंने कहा कि अलगप्पा विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपनी रजत जयंती मनाई है, अपने 25 वर्षों में विश्वविद्यालय ने जो बहुत सारी उपलब्धियां हासिल की हैं, उसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय को बधाई दी। इस विश्वविद्यालय के अधिकांश छात्रों ने अपने जीवन और व्यवसाय में काफी उपलब्धियां हासिल की हैं और यहां के कई अध्यापकों ने राष्ट्रीय और अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर अध्यापन और अनुसंधान के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं। विश्वविद्यालय को हाल ही में राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रमाणन परिषद् ने पुन: प्रमाणन में प्रतिष्ठित ‘ए’ ग्रेड प्रदान किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में यह विश्वविद्यालय इससे भी बेहतर कार्य करेगा।
असाधारण समाजसेवी डॉ आरएम अलगप्पा चेतियार ने अलगप्पा विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। वास्तव में, तमिलनाडु में शिवगंगा के ग्रामीण जिले में बहुत से शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में अलगप्पा चेतियार का दृष्टिकोण काफी महत्वपूर्ण था। इसमें एक कला और विज्ञान महाविद्यालय, एक आभियांत्रिकी महाविद्यालय और एक व्यायाम शिक्षण महाविद्यालय शामिल है। अलगप्पा चेतियार ने तमिलनाडु के इस क्षेत्र में हजारों युवकों और युवतियों का जीवन संवारा है। सन् 1948 में डॉ अलगप्पा चेतियार ने रामानुजन के नाम पर एक गणित केंद्र का स्वप्न देखा था, मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि यह स्वप्न साकार हुआ, इस अवसर पर डॉ अलगप्पा चेतियार को सम्मान प्रदान करने में मैं आप सभी के साथ हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में गणित शिक्षण पर और अधिक बल देने की आवश्यकता है। देश में गणित की एक गौरवपूर्ण परंपरा रही है, हमें इसे और अधिक प्रोत्साहित करने और आगे बढ़ाने की ज़रुरत है। आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और रामानुजन जैसे महान गणितज्ञों की विरासत को आगे ले जाने की जरूरत है। अन्य अध्ययन शाखाओं में गणित के बढ़ते हुए महत्व को देखते हुए यह और अधिक जरूरी हो जाता है। मैं जानता हूं कि भारत के योजना आयोग के सदस्य डॉ के कस्तूरी रंगन ने इस केंद्र के मनोहर भवन के निर्माण में काफी योगदान दिया है, इस उदारता के लिए उनकी सराहना की जाती है।