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भारत को हार्डवेयर हब बनाने की तैयारी

इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी की राष्‍ट्रीय नीतियां

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नई दिल्ली। इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स–2011 की प्रारूप राष्‍ट्रीय नीति 3 अक्टूबर 2011 को जारी की गई। इस प्रारूप में नैनो इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स सहित वैश्विक प्रतियोगी इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स प्रणालियां और डिजाइन विनिर्माण उद्योग को विकसित करने की व्‍यवस्‍था है, ताकि देश की आवश्‍यकताओं को पूरा किया जा सके और अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में भारत अपनी अच्‍छी जगह बना सके। इस नीति के महत्‍वपूर्ण उद्देश्‍यों में से एक 2020 तक लगभग 10 खरब डॉलर के निवेश से 40 खरब का कारोबार प्राप्‍त करना और लगभग दो करोड़ 80 लाख रोजगार के अवसर जुटाना है। इस उद्देश्‍य में चिप डिजाइन और इंबेडिड सॉफ्टवेयर उद्योग के लिए 55 अरब डॉलर का कारोबार प्राप्‍त करना और 80 अरब डॉलर का निर्यात करना है। इस नीति का एक महत्‍वपूर्ण उद्देश्‍य वर्ष 2020 तक 2500 पीएचडी स्‍तर के विद्वान भी बनाना है, इसमें देश में 200 से ज्‍यादा इलेक्‍ट्रॉनिक विनिर्माण समूह भी स्‍थापित करना है।

  • सूचना प्रौद्योगिकी-2011 की प्रारूप राष्‍ट्रीय नीति

सूचना प्रौद्योगिकी-2011 की प्रारूप राष्‍ट्रीय नीति 7 अक्टूबर 2011 को जारी की गई। इस नीति का उद्देश्‍य देश के सामने मौजूद आर्थिक और विकास की चुनौतियों का मुकाबला करने में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) की क्षमता का अधिक से अधिक उपयोग करना है। सूचना प्रौद्योगिकी नीति का मुख्‍य जोर अर्थव्यवस्‍था के सभी क्षेत्रों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करना और विश्‍व को आईटी समाधान उपलब्‍ध कराना है। शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, कौशल विकास, आर्थिक क्षेत्र, रोजगार उत्‍पादन, प्रशासन आदि क्षेत्र की विकास चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित उपायों को लागू करने नीति का मुख्‍य हिस्‍सा है, ताकि अर्थव्यवस्‍था के व्‍यापक क्षेत्र में कुशलता बढ़े। नीति में पूरे भारत के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी क्षमता उपलब्‍ध कराना और मानव संसाधनों की क्षमता का अधिक से अधिक उपयोग करना है, ताकि भारत 2020 तक एक ग्‍लोबल हब और आईटी और आईटी आधारित सेवाओं का प्रमुख केंद्र बन सके। इसके पीछे यह विश्‍वास है कि आईसीटी के इस्‍तेमाल से भारत में परिवर्तन लाया जा सकता है और इसके नागरिकों के जीवन स्‍तर को बेहतर बनाया जा सकता है।

  • ई-प्रशासन

मिशन मोड परियोजनाएं-राष्‍ट्रीय ई-प्रशासन योजना के अंतर्गत शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और डाक की चार नई मिशन मोड परियोजनाओं को लाया गया है, जिससे इन परियोजनाओं की संख्‍या 31 हो गई है। डाक परियोजना को केंद्रीय मिशन मोड परियोजना के तौर पर और अन्‍य तीन परियोजनाओं को राज्‍य मिशन मोड परियोजनाओं के तौर पर शामिल किया गया है। देश में ई-प्रशासन को बढ़ावा देने क लिए 16 मई 2006 को राष्‍ट्रीय ई-प्रशासन योजना को स्‍वीकृति दी गई। इसके अंतर्गत मिशन मोड परियोजनाएं और कई सहायक कार्यक्रम हैं, जिनका उद्देश्‍य देश में ई-प्रशासन को लागू करने के लिए उचित प्रशासनिक और संस्‍थागत तंत्रों, बुनियादी ढांचों, नीतियों, मानकों और आवश्‍यक कानूनी व्‍यवस्‍था को विकसित करना है। इसे केंद्र, राज्‍य और स्‍थानीय प्रशासन के स्‍तरों पर लागू किया जाना है।
सेवाओं की इलेक्‍ट्रॉनिक डिलीवरी–केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले पांच वर्षों में सभी सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति ई-व्‍यवस्‍था के जरिए प्रदान करने के लिए 20 दिसंबर 2011 को विधेयक को मंजूरी दी और इसे 27 दिसंबर 2011 को लोकसभा में पेश किया। सांझे सेवा केंद्र–तीस नवंबर 2011 तक 33 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 97,439 सांझे सेवा केंद्र बनाए जा चुके हैं। तेरह राज्‍यों में शत प्रतिशत सांझे सेवा केंद्र हैं। इनके अलावा डेढ़ लाख भारत-निर्माण सांझे सेवा केंद्र स्‍थापित करने का प्रस्‍ताव तैयार किया गया है, ताकि ग्रामीण भारत में प्रत्‍येक पंचायत में एक सांझा सेवा केंद्र हो।
राज्‍य व्‍यापी क्षेत्र नेटवर्क–राज्‍य व्‍यापी क्षेत्र नेटवर्क 29 राज्‍यों में पहले से कार्य कर रहे हैं। राज्‍य डाटा केंद्र–राज्‍य डाटा केंद्र 16 राज्‍यों में चालू किये जा चुके हैं। ई-जिला–ई-जिला प्रायोगिक परियोजना 12 राज्‍यों में सीधे लागू है। राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ई-जिला, मिशन मोड परियोजना लागू करने की योजना को मंजूरी दी जा चुकी है। क्षमता निर्माण–क्षमता निर्माण योजना के अंतर्गत 32 राज्‍यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में राज्‍य ई-मिशन टीमें गठित की जा चुकी हैं। एक हजार से अधिक सरकारी कर्मियों को ई-प्रशासन के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षित किया जा चुका है। केंद्र और राज्‍यों और केंद्र शासित के अधिकारियों के लिए पहला मुख्‍य सूचना अधिकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम 7 नवंबर 2011 से शुरू हो चुका है।
मानक–सूचना के आदान-प्रदान और डाटा और ई-प्रशासन के उपयोगों के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग खुले मानकों, बायोमीट्रिक मानकों, मेटा डाटा और डाटा मानकों, स्‍थानीयकरण और भाषा प्रौद्योगिकी मानकों, नेटवर्क और सूचना संरक्षा, डिजीटल हस्‍ताक्षर, गुणवत्ता आश्‍वासन, वेबसाइट डिजाइन दिशा निर्देशों को अधिसूचित किया जा चुका है। मोबाइल प्रशासन–मोबाइल प्रशासन से संबंधित नीति का प्रारूप तैयार किया जा चुका है। जागरूकता और संचार–दिल्‍ली, रांची, चेन्‍नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, श्रीनगर, चंडीगढ़, बंगलूरू, गंगटोक, शिमला और पटना में 11 वर्कशॉप आयोजित की जा चुकी हैं। चौदहवां राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन फरवरी 2011 में औरंगाबाद में हुआ था। नागरिक भागीदारी और सामाजिक मीडिया फ्रेमवर्क–ई-प्रशासन परियोजनाओं के लिए एक नागरिक भागीदारी फ्रेमवर्क तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्‍य सभी पक्षों, विशेष रूप से आम जनता की अधिक से अधिक भागीदारी को सुनिश्चित करना है। इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स हार्डवेयर विनिर्माण-सरकार, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स हार्डवेयर विनिर्माण को उच्‍च प्राथमिकता देती है। सरकार ऐसी ईको-प्रणाली विकसित करना चाहती है।
सेमीकंडक्‍टर वेफर फैब्‍स की स्‍थापना-देश में सेमीकंडक्‍टर वेफर फैब्रीकेशन (फैब) विनिर्माण सुविधाओं की स्‍थापना करने के लिए प्रौद्योगिकी और निवेशकों की पहचान करने के उद्देश्‍य से एक अधिकार प्राप्‍त समिति का गठन किया गया था। यह समिति संबद्ध निवेशकों से विचार-विमर्श करने के बाद सरकार की ओर से दिये जा सकने वाले भौतिक/वित्तीय सहयोग की प्रकृति और मात्रा तय करेगी और इस क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आवश्‍यक कार्यवाही के बारे में सरकार को अपने सुझाव देगी। सेमीकंडक्‍टर डिज़ाइन और सेवा उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए रोड मैप–भारत सेमीकंडक्‍टर एसोसिएशन ने सूचना प्रौ‍द्योगिकी विभाग के सहयोग से सेमीकंडक्‍टर डिज़ाइन इम्‍बेडिड सोफ्टवेयर और सेवा उद्योग के बारे में अध्‍ययन किया है। इसकी रिपोर्ट बहुत बड़े इनटीग्रेशन डिज़ाइन, इम्‍बेडिड सोफ्टवेयर डिज़ाइन और हार्ड वेयर/बोर्ड डिज़ाइन के बारे में है। सेमीकंडक्‍टर डिज़ाइन और सेवा उद्योग के लिए एक रोड मैप तैयार किया गया है, ताकि इस क्षेत्र में उन्नति हो और राजस्‍व की विकास दर 17 प्रतिशत वार्षिक से अधिक बनी रहे।
इलेक्‍ट्रॉनिक कंपोनेंट उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए रोड मैप–भारतीय इलेक्‍ट्रॉनिक उद्योग एसोसिएशन ने सूचना प्रौ‍द्योगिकी विभाग के सहयोग से इलेक्‍ट्रॉनिक कंपोनेंट्स, हार्डवेयर मार्केट और विनिर्माण उत्‍पादन के बारे में अध्‍ययन किया है, जिसमें एसेंबलीज और वैल्‍यू चेन का अध्‍ययन भी शामिल है। इसके आधार पर इलेक्‍ट्रॉनिक कंपोनेंट उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए रोड मैप तैयार किया गया है। ईएसडीएम सैक्‍टर को बढ़ावा देने के लिए संचार और ब्रांड विकास अभियान–‘मेड इन इंडिया’ को दुनिया भर में ईएसडीएम का प्रमुख ब्रांड बनाने के उद्देश्‍य से एक अभियान शुरू किया गया है और ईएसडीएम क्षेत्र में निवेशों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के उपायों के बारे में जागरूकता अभियान भी शुरू किया गया है।
इलेक्‍ट्रॉनिक सामानों के लिए सुरक्षा मानकों का लागू करना अनिवार्य–16 चुने हुए इलेक्‍ट्रॉनिक उत्‍पादों के लिए सु‍रक्षा मानक संबंधी आदेश का प्रारूप तैयार किया गया है और इन्‍हें अनिवार्य रूप से लागू करने के बारे में अधिसूचना जारी करने के लिए उपभोक्‍ता मामले विभाग और भारतीय मानक ब्‍यूरो के साथ परामर्श किया जा रहा है। राष्‍ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र–राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी), संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक प्रमुख संगठन है। यह संगठन ई-प्रशासन संबंधी समस्‍याओं के हल प्रदान करता है। पिछले एक वर्ष में इसने कई ई-प्रशासन उपयोग और सेवाएं शुरू की हैं और देश में डाटा कम्‍प्‍यूटरीकरण और संचार इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर को मजबूत किया है। एनआईसी नेट को बढ़ावा–पिछले एक वर्ष में बड़े ई-प्रशासन उपयोगों को सहायता पहुंचाने के लिए एनआईसी ने हैदराबाद, पुणे और नई दिल्‍ली में तीन राष्‍ट्रीय डाटा केंद्र स्‍थापित किये हैं। एनआईसी विभिन्‍न सरकारी विभागों के 7 हजार वेबसाइटों/पोर्टलों के लिए भी सुविधा प्रदान कर रहा है।
ई-खरीद–जीईपीएनआईसी को जेनरिक ई-खरीद प्रणाली के रूप में विकसित किया गया है, जिससे टेंडर प्रक्रिया सुरक्षित ढंग से की जा रही है। जीईपीएनआईसी को 13 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है। चालू वित्त वर्ष में 30 नवंबर 2011 तक 45,218.10 करोड़ रुपयों के 35,146 टेंडर इस प्रणाली से सफलता पूर्वक प्रोसेस किये गए। वाणिज्‍य विभाग ने ई-खरीद संबंधी मिशन मोड परियोजना के अंतर्गत 23 राज्‍यों के सरकारी विभागों में एनआईसी की ई-खरीद प्रणाली को लागू करने का फैसला किया है। ई-न्‍यायालय–यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण परियोजना है, जिसका उद्देश्‍य सुप्रीम कोर्ट से लेकर सब-डिस्ट्रिक्‍ट अदालतों में न्यायपालिका के विभिन्‍न स्‍तरों के लिए आईसीटी व्‍यवस्‍था लागू करना है, ताकि विभिन्‍न स्‍तरों पर मामलों का बेहतर ढंग से निपटान हो सके। चालू वित्‍त वर्ष में 450 से अधिक अदालत परिसरों में आईसीटी व्‍यवस्‍था लागू की गई है।
व्यवसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश के ‍लिए ई-परामर्श–देश में 20 से अधिक राज्‍य तकनीकी शिक्षा बोर्डो के विभिन्‍न व्‍यावसायिक पाठ्क्रमों के लिये प्रवेश प्रक्रिया के सिलसिले में एनआईसी की ई-परामर्श प्रणाली से छात्र लाभान्वित हुए हैं। इससे न केवल प्रवेश पाने वालों के, बल्कि राज्‍य बोर्डों के समय और खर्च में काफी बचत हुई है। ई-ऑफिस–ई-ऑफिस प्रणाली से सरकार के कामकाज में अधिक पारदर्शिता और कुशलता आई है। इस प्रणाली को केंद्र सरकार के एक दर्जन से अधिक विभागों और कुछ राज्‍य सरकार सचिवालयों में लागू किया गया है, जिससे सरकारी फाइलों के मामले में ई-प्रबंधन का इस्‍तेमाल हुआ है। मनरेगा सॉफ्ट–इस सेवा को केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास विभाग और विभिन्‍न राज्‍य सरकारों द्वारा महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के कार्यक्रम के प्रबंधन में इस्‍तेमाल किया जा रहा है। इसके अंतर्गत विश्‍व की इस सबसे बड़ी सामाजिक क्षेत्र की इस योजना में श्रमिकों के पंजीकरण से लेकर उनकी मजदूरी तक का लेखा-जोखा रहता है।
नेशनल नॉलेज नेटवर्क-नेशनल नॉलेज नेटवर्क की स्‍थापना के फैसले की घोषणा वर्ष 2008-09 के केंद्रीय बजट के समय बजट भाषण में की गई थी। मार्च 2010 में सरकार ने दस वर्ष के लिए इसकी स्‍थापना को मंजूरी दे दी। इसका उद्देश्‍य उच्‍च शिक्षा के संस्‍थानों को हाई स्‍पीड डाटा संचार नेटवर्क के जरिए आपस में जोड़ना है। नेटवर्क में दस जीबीपीएस और अधिक के गुणक वाली अत्‍यधिक त्‍वरित सेवा होगी और 1500 नोड होंगे। इसमें और ज्‍यादा स्‍पीड और और नोड भी हो सकते हैं। संस्‍थाएं नेशनल नॉलेज नेटवर्क के साथ 100 एमबीपीएस/1 जीबीपीएस पर संपर्क रखती हैं। यह व्‍यवस्‍था कृषि, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, ई-प्रशासन और ग्रिड कम्‍प्‍यूटिंग जैसे क्षेत्रों के लिए है। 30 नवंबर 2011 तक 450 संस्‍थाएं नेशनल नॉलेज नेटवर्क से जुड़ी हैं और 43 क्‍लासरूम स्‍थापित हुए हैं।
नैनो टेक्‍नॉलॉजी–सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने दसवीं योजना के दौरान नैनो प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम शुरू किया था। इसका उद्देश्‍य नैनो-इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और नैनो मेट्रोलॉजी में अनुसंधान के लिए राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार करना है और नैनो मैटीरियल्स, नैनो डिवाइसिस, कार्बन नैनो ट्यूब्‍स, नैनो सिस्‍टम्‍स आदि जैसे विशिष्‍ट क्षेत्रों में लघु और मध्‍यम स्‍तर की अनुसंधान परियोजनाओं को आर्थिक सहायता देना है। नैनो इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स के दो बड़े केंद्र आईआईटी मुंबई और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस बंगलूरू में स्‍थापित किये गए हैं। ये केंद्र नैनो-इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स के उत्‍कृष्‍ट का केंद्र बन गए हैं, जिनकी राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहचान है और युवा प्रतिभाएं इनकी ओर आकर्षित हो रहीं हैं। देश और विदेश के सभी उपयोगकर्ताओं के लिए इन केंद्रों की सुविधाएं उपलब्‍ध हैं, जो इंडियन नैनो इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स यूजर्स प्रोग्राम के जरिए प्राप्‍त की जा सकती हैं। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग इसके लिए धन देता है। देश के 100 से ज्‍यादा संगठनों की 110 से ज्‍यादा अनुसंधान और विकास परियोजनाएं इस कार्यक्रम के अंतर्गत लाभ उठा रही हैं। इस कार्यक्रम के जरिए 350 से अधिक संगठनों के लगभग 1150 लोग प्रशिक्षण प्राप्‍त कर चुके हैं।

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