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गंभीर अपराधियों की मीडिया में घुसपैठ

कानपुर के एडीएम का हत्यारा पुलिस ने दबोचा

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लखनऊ। एटीएस, उत्तर प्रदेश की टीम को एक वांछित पुरस्कार घोषित अपराधी और आतंकवादी मोहम्मद रेहान पुत्र सुलेमान निवासी 97/124, तलाक महल, थाना बेकनगंज, जनपद कानपुर नगर को आलमबाग लखनऊ से गिरफ्तार किया है। रेहान वर्ष 2001 से फरार था। इसके कब्जे से राज अहमद के नाम से एक ड्राइविंग लाइसेंस, राज अहमद नाम का एक पैन कार्ड, राज अहमद के नाम की वोटर आईडी, एक समाचार पत्र के पत्रकार का फर्जी परिचय-पत्र और एक मोबाइल फोन बरामद हुआ है। पुलिस ने बताया कि रेहान, कानपुर में 16 मार्च 2001 को एडीएम वित्त एवं राजस्व चंद्र प्रकाश पाठक की हत्या का आरोपी है। थाना बेकनगंज, कानपुर नगर में इसके विरूद्ध विस्फोटक अधिनियम (वर्ष 2001 में कानपुर नगर में हिजबुल मुजाहिदीन संगठन के सदस्य मुमताज, वासिफ हैदर और मोहम्मद जुबैर के साथ पीएसी के ट्रक में बम फेंकना) में मुकदमा दर्ज है।
पुलिस के अनुसार, पूछताछ में मोहम्मद रेहान उर्फ राज अहमद ने बताया कि 16 मार्च को 2001 में जनपद कानपुर नगर में एडीएम चंद्र प्रकाश पाठक की हत्या में वह मुमताज, वासिफ आदि के साथ शामिल था और उसने पीएसी के ट्रक पर अपने साथियों के साथ बम फेंका था, उस दौरान हुये दंगों में उसने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। इसके बाद वह भागकर दिल्ली चला गया, वहां पर उसने लेदर फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया, फिर वहां से अपने एक मित्र के रिश्तेदार जो कलकत्ता में रहता था, के घर चला गया और वहां दूध का व्यवसाय करने लगा।
मोहम्मद रेहान ने पुलिस को बताया कि उसने वर्ष 2006 में कलकत्ता में रहने के दौरान एक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार से संबंध होने के बाद उसके मेरठ कार्यालय में चपरासी के रूप में काम किया, फिर कुछ समय उसने भागलपुर (बिहार) में भी अपनी फरारी बिताई। इस दौरान उसने पाकिस्तान भागने का प्रयास किया, किंतु पैसे की व्यवस्था न हो पाने के कारण वह नहीं जा सका, लखनऊ आकर वह अर्जुननगर आलमबाग में राज अहमद के नाम से रहने लगा, उसने लखनऊ में इसी नाम से अपना वोटर आईडी कार्ड, बैंक एकाउंट आदि अभिलेख बनवाए। रेहान ने अपने अन्य सहयोगियों के बारे में भी महत्वपूर्ण सूचनाएं दी हैं, जिन पर एटीएस काम कर रही है। रेहान को कानपुर नगर की थाना मूलगंज पुलिस के हवाले किया गया है।
हाल के वर्षों में पकड़े गए इस प्रकार के अपराधियों को मीडिया का संरक्षण मिलना पाया गया है। अपराध अनुसंधान में यह बात पता चली है कि अनेक हत्यारे और खूंखार अपराधियों को कुछ मीडिया के लोग, मित्रता या रिश्तेदारी में संरक्षण देते हैं, जिससे पुलिस का उन तक पहुंचना कठिन होता है। बहुत से समाचार प्रतिष्ठान अपने समाचार पत्र या इलेक्ट्रॉनिक चै‌नल का आईकार्ड भी बना देते हैं जिस कारण इन अपराधियों को चेकिंग से बचने में आसानी से सहायता मिल जाती है। पाया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कर्मियों के साथ चलने वाले सहायकों में भी ये घुले मिले रहते हैं, जिससे इनकी पहचान छिपी रहती है।

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