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नई दिल्ली। बाईस नवंबर 2011 (मंगलवार) को शुरू हुआ संसद का इस वर्ष का शीतकालीन सत्र गुरूवार 29 दिसंबर 2011 को संपन्न हो गया। यह सत्र बुधवार 21 दिसंबर 2011 को संपन्न होना था, लेकिन जरूरी सरकारी विधायी कार्यों के संपादन के लिए दोनों सदनों की बैठक को गुरूवार 29 दिसंबर 2011 तक बढ़ा दिया गया। इस सत्र में 38 दिनों में 24 बैठकें हुईं। सत्र में 2011-12 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगें (आम और रेल) तथा उनसे संबंधित विनियोजन विधेयक पर चर्चा की गई और इन्हें लोकसभा ने पारित कर दिया, बाद में राज्यसभा ने इन पर विचार किया और विनियोजन विधेयक वापस कर दिया।
लोकसभा में 14 दिसंबर 2011 को लाल कृष्ण आडवाणी ने‘विदेशी बैंकों में अवैध रूप से जमा किये गये धन से उत्पन्न होते हालात और दोषी व्यक्तियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई’ विषय पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव पर छह घंटे बहस हुई और इसे ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। राष्ट्रपति द्वारा जारी केबल टी वी नेटवर्क (विनियमन) अध्यादेश 2011 के स्थान पर एक विधेयक पेश किया गया जिसे संसद के दोनों सदनों ने इस सत्र में पारित कर दिया।
लोकसभा में नियम 193 के तहत दो अल्पकालिक चर्चाएं की गईं। ये हैं, पहली-भारत में मुद्रास्फीति की स्थिति और दूसरी-लगातार दोहन के कारण गंगा नदी और हिमालय के अस्तित्व के समक्ष खतरे। राज्यसभा में नियम 176 के तहत दो अल्पकालिक चर्चाएं की गईं-खाद्य और अन्य आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में अप्रत्याशित वृद्धि और किसानों की आत्महत्या के कारण देश में उत्पन्न कृषि संकट की स्थिति। इसके अलावा तीन ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लोकसभा में पेश किये गये-आर्डीबीआई लिमिटेड में कर्मचारियों के भत्तों की समीक्षा नहीं होना, सफाई कर्मचारियों के जीवन की सुरक्षा के लिए उठाये जाने वाले पर्याप्त सुरक्षात्मक कदम और दिमागी बुखार और इंसेफ्लाइटिस का देशभर में, खासकर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में प्रसार।
शीत सत्र में 30 (लोकसभा में 27 और राज्यसभा में 3) विधेयक पेश किये गये। इस सत्र में लोकसभा और राज्य सभा में 18-18 विधेयक पारित किये गये। सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पारित विधेयकों की संख्या 17 है।