रज़िया बानो
लखनऊ। हर साल नव वर्ष पर, मोबाइल ग्राहकों की जेब से करोड़ो रूपए ठगने में, इस साल विफल हुईं मोबाइल कंपनियों का, मात्र एक अफवाह ने, एक घंटे में घाटा पूरा कर दिया। मंगलवार की प्रातः करीब दो से चार बजे के बीच, अचानक प्रदेश के कई शहरों, कस्बों और गांवों में मोबाइल फोन सक्रिय हो गए, क्योंकि इस दौरान मोबाइल पर यह अफवाह फैलाई गई कि जाग जाइए, भूकंप आने वाला है और जो भी सवेरे पांच बजे तक सोएगा, वह पत्थर बन जाएगा। इस अफवाह ने गहरी नींद सो रहे लोगों को न केवल अचानक जगा दिया अपितु एक दहशत पैदा कर दी और हर आदमी एक दूसरे से संपर्क करने और नाते रिश्तेदारों को जगाने में जुट गया।
यह अफवाह लगभग सभी मोबाइल कंपनियों के सेल फोन पर रही। हर आदमी महिलाएं और बच्चे भी सेल फोन से अपने दोस्तों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों को फोन करने में लगा था और जानना चाह रहा था कि उनके यहां तो कुछ नहीं हुआ। बहुत सी जगहों पर लोगों ने प्रार्थनाओं, दीये और धूपबत्ती जलाकर किसी भावी अनिष्ट से बचाव के तरीके अख्तियार किए। लोगों ने मोबाइल से पंडितों और तांत्रिकों का सहारा लिया। इन दो-तीन घंटों में इस अफवाह का कोई तोड़ नहीं निकल सका और सारी मोबाइल लाइनें व्यस्त हो गईं। इसके बावजूद कहीं ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि सोते हुए लोग पत्थर के बन गए हैं, लेकिन फिर भी मोबाइल पर यही अफरा-तफरी सुनने को मिल रही थी कि फलां शहर में लोग पत्थर के बन रहे हैं। लोग सोय नहीं, बहुत से लोग अनवरत पूजा-पाठ करते रहे और प्रातः पांच बजे के बाद यह भ्रम टूटना शुरू हुआ कि कहीं कुछ नहीं हुआ है, यह सोते हुए लोगों की जिंदगी में खलल डाला गया था और हो न हों इसके पीछे मोबाइल कंपनियां हों जिन्होंने रातो-रात मुनाफा बढ़ाने के लिए कुछ घंटे मोबाइल के जरिये लोगों को व्यस्त रखा।
इस अफवाह का पुलिस ने भी संज्ञान लिया है और कहा है कि दो जनवरी की रात को करीब दो बजे यह अफवाह फैली कि जो व्यक्ति सो रहे हैं वह पत्थर बन जायेंगे और भूकंप आने वाला है, इस अफवाह पर प्रदेश में काफी लोग दहशत में आ गये और अपने घरों से बाहर निकल आये। पुलिस महानिदेशक कार्यालय के अनुसार यह सूचना मिलते ही प्रदेश के समस्त जनपदों के माध्यम से थाना और चौकी स्तर पर अफवाहों का खंडन कराया गया। पुलिस का कहना है कि इससे पूर्व में भी इसी प्रकार की अफवाहें फैलायी गयी थीं, जिनका पुलिस खंडन कर चुकी है।
तीन जनवरी की भोर में लखनऊ और उसके आस-पास कई जिलों में फैलाई गई इस अफवाह की जांच की मांग की जा रही है कि आखिर वो कौन हैं, जिन्होंने आधी रात के बाद लोगों की नींद हराम की। भूकंप की अफवाह अपना प्रभाव दिखाने के लिए काफी है, इस पर सोते हुए लोगों के पत्थर बनने की अफवाह सभी को किसी अनिष्ट से ग्रस्त तो करती ही है। इससे अधिकांश लोग ऐसी अफवाहों का शिकार हो जाते हैं बाद में पता चलता है कि इसके पीछे कहानी कुछ और थी। अक्सर सुनने को मिलता है कि किसी देवी, देवता या नाग के दर्शन हुए हैं, जो उनके पर्चे छपवा कर बांटेगा उसको कुछ ही दिनों में धन प्राप्त होगा या उसकी मनोकामना पूर्ण होगी, लोग लाखों पर्चे छपवाकर बांटते रहे हैं, इसके पीछे प्रिंटिंग प्रेस हुआ करती हैं, अब इनकी जगह मोबाइल एसएमएस ने ले ली है।