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उपभोक्ता अधिनियम में संशोधनों का प्रस्ताव

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नई दिल्ली। सरकार ने विवादों के तेजी से निपटारे और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के कुछ प्रावधानों के कार्य क्षेत्र का विस्तार करने के लिए 16 दिसंबर 2011 को लोकसभा में उपभोक्ता संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2011 पेश किया था। अधिनियम के तत्वावधान में राष्ट्रीय स्‍तर पर 35 राज्यों और 629 जिलों के स्‍तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियां गठित की गई हैं, जो दोषपूर्ण सामान, त्रुटिपूर्ण सेवाओं और अनुचित/प्रतिबंधित व्यापार व्यवस्थाओं के खिलाफ शिकायतों के बारे में उपभोक्ताओं को सरल, कम खर्चीला और तेजी से न्याय दिलाती हैं। शिकायतों के तेजी से निपटारे और उपभोक्ता विवाद निवारण एजेंसियों में नियुक्तियों की प्रक्रिया को युक्तिसंगत बनाने के लिए इस बात की जरूरत महसूस की गई है कि अधिनियम का संशोधन किया जाए।
अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन इस प्रकार हैं-उपभोक्ता शिकायतों को ऑन-लाइन दर्ज कराना, आदेशों को सिविल कोर्ट के आदेश के रूप में लागू कराना, आदेश का पालन न करने पर अदायगी कराना, जिला मंचों को प्राधिकृत करना, चयन प्रक्रिया में राज्य सरकारों को प्राधिकृत करना, राष्ट्रीय आयोग और राज्य आयोगों के मामलों में सदस्यों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम आयु में वृद्धि, सदस्यों के लिए अनुभव, राष्ट्रीय आयोग/राज्य आयोग को विवादों के निपटारे के लिए किसी को निर्देश देने के अधिकार, लंबित मामलों की निगरानी व्यवस्था। अधिनियम में प्रस्तावित उपरोक्त संशोधन उपभोक्ताओं की शिकायतों के तेजी से निपटारे और उपभोक्ता अधिकारों की कड़ी सुरक्षा में अ‍त्यधिक सहायक होंगे।

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