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अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने श्रीराम जन्मभूमि पर दर्शन को लेकर स्थानीय सुरक्षा कर्मियों के सुरक्षा जांच में श्रद्धालुओं के साथ आए दिन दुर्व्यवहार पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है और कहा है कि सुरक्षा जांच के साथ-साथ राम भक्तों के दर्शन के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण भी किया जाना चाहिए, सुरक्षा के नाम पर आतंकियों के साथ जैसा व्यवहार उस स्थान पर आदर्श आचरण के विपरीत है।
वृंदावन के श्रीकाठिया बाबा आश्रम, रमणरेती से श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में राम लला का दर्शन करने पहुंचे आधा दर्जन काठिया संतों को रोके जाने पर महंत नृत्यगोपाल दास ने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने बताया संतों की अपनी परंपरा है, उसी परंपरा के अंतर्गत कोई कमर में मूंझ का आंडबंद लगाता है, कोई डोरी पहनता है और कोई काठ का आंडबंद लगाता है। काठिया संतों के आंडबंद काठ का पहना जाता है, रामलला के दर्शन के समय सुरक्षा कर्मियों ने उनके आंडबंद पहनने मात्र पर दर्शन करवाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि संत परंपरा पर किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है, श्रीराम लला का दर्शन करना प्रत्येक संत-धर्माचार्य और राम भक्तों का मौलिक अधिकार है और आए दिन श्रद्धालुओं से शिकायत मिलती है कि श्रीराम जन्मभूमि पर तैनात सुरक्षा कर्मी, सुरक्षा जांच के दौरान उनसे बेहद दुर्व्यहार करते हैं।
महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि सुरक्षा के नाम पर आतंकियों जैसा व्यवहार उचित नहीं है। शासन-प्रशासन सुरक्षा मानकों में सुधार लाए और ऐसे सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाए, जिन्हें व्यवहारिक ज्ञान हो, क्योंकि अयोध्या एक धार्मिक और पौराणिक नगरी है, जहां देश के कोने-कोने से विभिन्न पंथ और संप्रदायों के आचार्य, महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत और विभिन्न भाषा-भाषी क्षेत्रों के राम भक्त अपने आराध्य का दर्शन-पूजन करने आते हैं, यहां से वह ऐसा संदेश न लेकर जाएं जो अयोध्या की गरिमा के विपरीत हो।
काठिया संत केशव दास ने घटनाक्रम के बारे में बताया कि बताया कि उनके साथ गोपाल दास, ललिता शरण, प्राण वल्लभ, मदनदास, गोपाल दास त्यागी आदि संत थे। वृंदावन से चल कर मकर संक्रांति का स्नान करने गंगा नदी जा रहे थे। अयोध्या प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली है, इस कारण दर्शनार्थ यहां आये, लेकिन सुरक्षा जांच में उन सबके साथ किया गया व्यवहार बेहद दुखद रहा,उससे आत्म पीड़ा पहुंची है, भगवान राम लला सुरक्षा अधिकारियों को सद्बुद्धि दें।