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माइक्रोवियल जैव प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण कार्यक्रम

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देहरादून। पर्वतीय क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने तथा इसके माध्यम से स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ग्राफिक एरा विश्वविश्वविद्यालय में रविवार को 13 दिवसीय माइक्रोवियल जैव प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक जैव प्रौद्योगिकी डॉ जेएमएस राणा ने किया। इस अवसर डॉ राणा ने कहा कि उत्तराखंड में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं, आवश्यकता इस बात की है, कि स्थानीय स्तर पर इसके प्रति व्यापक जनजागरण किया जाए।
डॉ राणा ने साउथ कोरिया का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर वैज्ञानिक अनुंसधान और इससे जुड़ी शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया गया, जिस कारण साउथ कोरिया आज पूरे विश्व में टैक्नोलॉजी के मामले में आगे है, जबकि हमारे यहां पर्याप्त संसाधन और वातावरण उपलब्ध है, लेकिन पर्याप्त प्रोत्साहन व शिक्षा के अवसर उपलब्ध नही हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग करना सीख सकें, तो उत्तराखंड राज्य और भी ज्यादा और सबसे अधिक समृद्ध राज्य होगा। उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभाग करने आये प्रतिभागियों से अपेक्षा की कि वे इस कार्यशाला में जो कुछ भी सीखेंगे, उससे औरों को भी लाभान्वित करेंगे।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ आशीष थपलियाल ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में आये प्रतिभागियों को जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की बुनियादी जानकारी दी जायेगी, साथ ही यहां के भौगोलिक परिवेश के अनुसार किस प्रकार के अनुसंधान और दवाएं विकसित की जाएं, इसका भी प्रशिक्षण दिया जायेगा। कार्यक्रम का संचालन ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ निशांत राय, डॉ नवीन कुमार, डॉ पंकज गौतम, डॉ त्रिभुवन चंद्रा, डॉ अंजू रानी, डॉ प्रमिला शर्मा, मनु पंत आदि उपस्थित थे।

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