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बरेली-लालकुआं मीटर गेज रेल बनी इतिहास

मनोज शर्मा

रेल/train

बरेली। इकतीस दिसंबर को 2011 की विदाई के साथ ही बरेली से लाल कुंआ तक जाने वाली मीटर गेज की रेलगाड़ी भी इतिहास बन गयी है। लगभग 130 साल का इस रेलगाड़ी का यह सफर 1 जनवरी 2012 से इतिहास में दर्ज हो गया। छोटी लाइन से बड़ी लाइन में होने वाला यह परिवर्तन यूं तो एक महत्वपूर्ण विकास है, मगर परिवर्तन भावना प्रधान होते हैं, बरेली-लाल कुंआ आमान परिवर्तन भी कुछ ऐसा ही है, जिसके पीछे 126 साल की भावनात्मक यादें हैं। लाल कुंआ से चलने वाली  छोटी लाइन की सभी रेल गाड़ियां भी बंद हो गई। लगभग 126 साल तक चली लाल कुआं-बरेली-लखनऊ रेल को शनिवार की रात आखिरी बार हरी झंडी दिखाई गई और छोटी लाइने की रेल इतिहास हो गयीं।
लाल कुआं रेलवे स्टेशन से नवाबों के शहर लखनऊ तक, छोटी लाईन की यह रेल 23 अप्रैल 1882 को अवध तिरहुत मेल के नाम से शुरु हुयी थी। लालकुआं स्टेशन का रिकार्ड बताता है कि भारत में पहली बार रेल का संचालन 16 अप्रैल 1853 को होने के लगभग 30 साल बाद रेल लाल कुंआ के रास्ते काठगोदाम पहुंची और काठगोदाम रेलवे स्टेशन पहुंचने वाली ट्रेन गुवाहाटी तक जाती थी। इसका विराम स्‍थल लखनऊ तक बढ़ाये जाने का निर्णय होने के बाद, रेलगाड़ी का नाम तिरहुत से नैनीताल एक्सप्रेस रख दिया गया, उसके बाद पर्यटन के नजरिये से 1920 में आगरा-कुमाऊं लाल कुंआ एक्सप्रेस नाम से छोटी लाइन की एक और ट्रेन शुरु की गयी।
उस वक्त उस ट्रेन की रफ्तार 25 से 30 मील प्रति घंटा निर्धारित थी। इस ट्रेन को धीरे-धीरे चलते देखना या उसमें सफर करना अपने आप में अनूठा और रोमांचकारी अनुभव था, क्योंकि तब लाल कुआं, हल्द्वानी और काठगोदाम गांव होते थे, रेल लाइन के दोनो ओर घना जंगल भी होता था, जंगली जानवरों का पटरियों पर अक्सर ही आगमन हो जाता था, प्रकृति के विभिन्न नज़ारे करीब से निहारने को मिलते थे। गांवों के पास से गुजरती, धुंआ उगलती कोयला रेलगाड़ियों को 7-8 डिब्बे ढोकर ले जाना, लोगों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं लगता था। इसका जिक्र गोरे सैलानी डेविड रिजर्डसन ने इंडिया विजिट में खासतौर से किया है। उस जमाने के सीधे-साधे और अधिकतर कम तालीम याफ्ता लोग इसको अंग्रेज अफसरों का कोई चमत्कार समझते थे। उत्तराखंड में रेलों का आगमन बरेली-हल्द्वानी-काठगोदाम के बीच सन1882 से हुआ।
नए साल पर बरेली को नैनीताल एक्सप्रेस, तोहफे के रूप में मिल गयी है,जो बरेली से चलकर पीलीभीत मैलानी और लखीमपुर होते हुए ऐशबाग लखनऊ पहुंचती है। नैनीताल एक्सप्रेस (5313-14) की समय सारिणी भी परिवर्तित हो गयी है। यह रेल बरेली जंक्शन से सुबह 6.35 बजे छूटती है और इज्जत नगर, भौजीपुरा होते हुए 8.35 बजे पीलीभीत, 9.50 पर मैलानी पहुंचती है। यहां से वह ऐशबाग के लिए रवाना होती है। यह रेल लखनऊ से चलकर शाम को 5.55 बजे पूरनपुर होते हुए 6.45 पीलीभीत, 7.29 भौजीपुरा फिर इज्जत नगर और 8.30 बजे रात्रि को अपने मुकाम बरेली जंक्शन पहुंचती है।

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