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नई दिल्ली। संस्कृति, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि संग्रहालयों ने हमें अपनी जड़ों के करीब ले जाकर और अपने गौरवशाली अतीत से अवगत कराकर हमेशा से समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। छात्र जीवन में संग्रहालय को देखना एक अभिन्न हिस्सा रहा है, जिसने पृथ्वी पर मानव जीवन के विकास के प्रति हमारी समझ बढ़ाई है। सोमवार को संग्रहालयों के पेशेवरों के लिए लीडरशिप प्रशिक्षण की शुरूआत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में बड़े और छोटे एक हजार से ज्यादा संग्रहालय हैं, इनमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा संग्रहालयों को सहायता और उनके रखरखाव का काम केंद्र और राज्य सरकारें करती हैं। कुछ जाने-माने संग्रहालय, निजी प्रयासों से स्थापित किए गए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण खुद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों के नजदीक स्थित ऐसे 44 संग्रहालयों का प्रबंध देखता है, इनमें से कुछ देश के सुदूरवर्ती इलाकों में हैं, जिनमें गुजरात में धौलवीर और लोथल शामिल हैं।
कुमारी सैलजा ने कहा कुछ पुराने संग्रहालय ब्रिटिश शासन काल में स्थापित हुए थे, जहां प्राकृतिक इतिहास और पुरातत्व महत्व की वस्तुओं का संग्रह है, इनमें कोलकाता स्थित संग्रहालय, विक्टोरिया मैमोरियल हाल और मुम्बई स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय शामिल है, कोलकाता स्थित संग्रहालय 2014 में अपनी स्थापना के 200 साल पूरे कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने संग्रहालय के पेशेवरों के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। लीडरशिप प्रशिक्षण कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय ने ब्रिटिश म्यूजियम के सहयोग से आयोजित किया है, जो भारतीय संग्रहालय के पेशेवरों के लिए खासतौर से तैयार अनोखा कार्यक्रम है।
उन्होंने 12 राष्ट्रीय स्तर के संग्रहालयों के 20 पेशेवरों के इस कार्यक्रम में शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि इसमें प्रशिक्षित पेशेवर भारत में विश्व स्तर के संग्रहालय स्थापित करने में योगदान दे सकेंगे। भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त जेडी बेवन और ब्रिटिश म्यूजियम के निदेशक नील मैक ग्रेगर भी इस अवसर पर मौजूद थे। संस्कृति सचिव जवाहर सिरकार को देश में संग्रहालय सुधार शुरू करने के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए पहला ब्रिटिश म्यूजियम मैडल प्रदान किया गया। बेवन ने उन्हें यह मैडल प्रदान किया।