स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
देहरादून। सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक विनोद शर्मा की अध्यक्षता में पत्रकारों के साथ पेड न्यूज़ पर महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में महानिदेशक सूचना ने कहा कि मीडिया सभी पार्टी प्रत्याशियों को समान अवसर प्रदान करे। कार्यशाला में पेड न्यूज़ और मतदाताओं को जागरूक करने पर भी चर्चा हुई, जिसमें विनोद शर्मा ने कहा कि चुनावी दृष्टिकोण से आचार संहिता का अनुपालन कराने एवं निष्पक्ष मतदान के प्रति मतदाताओं में जनजागरण के दृष्टिकोण से मीडिया का बड़ा महत्व है, यदि प्रिंट एवं इलैक्ट्रानिक चैनल किसी भी दल या प्रत्याशी के पक्ष में बढ़ा चढ़ाकर समाचार प्रकाशित करते हैं, तो इससे चुनाव लड़ने वाली पार्टियों और प्रत्याशियों के लिए असमान परिस्थितियां पैदा होती हैं, जोकि उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने इसीलिए निगरानी के लिए मीडिया प्रमाणन और अनुवीक्षण समितियां बनाई हैं।
महानिदेशक सूचना ने कहा कि मीडिया किसी भी प्रत्याशी अथवा पार्टी के पक्ष में एकतरफा प्रचार-प्रसार न करे, साथ ही मीडिया, चुनाव के संबंध में किसी भी प्रत्याशी के बारे में जो भी विज्ञापन प्रकाशित या प्रदर्शित करती है, उसका मूल्य उन्हें स्वयं ही बता दे, ताकि आम जनता, शासन और प्रशासन में एक पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने कार्यशाला में पेड न्यूज़ पर प्रेस काउंसिल के दिशा-निर्देशों की भी जानकारी दी, और बताया कि समाचार पत्रों एवं इलैक्ट्रॉनिक मीडिया में छपी या दिखाई गयी ऐसी खबरें, जिनके बारे में माना गया हो, कि उन्हें छापने और दिखाने की एवज में मीडिया कंपनी को भुगतान किया गया है, को रोकना होगा। उनका कहना था, कि प्रेस काउंसिल ने अपने दिशा-निर्देशों में चिंता प्रकट की है, कि आज पेड न्यूज़ की प्रवृत्ति एक गंभीर रूप धारण कर चुकी है, इसका प्रभाव अब भारत में लोकतंत्र की जड़ों को नुकसान पहुंचाने की हद तक पहुंच गया है, ऐसा इसलिए है, कि इसका प्रयोग अब चुनाव पूर्व प्रचार-प्रसार के लिए राजनीतिक पार्टियों और प्रत्याशियों द्वारा किया जा रहा है।
उन्होने बताया कि प्रेस काउंसिल की पेड न्यूज़ पर प्रस्तुत रिपोर्ट में उल्लेखित किया गया है, कि इससे पाठक या दर्शक को किसी प्रत्याशी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की सही जानकारी नहीं मिल पाती है, जिससे लोकतंत्र की मूल भावना को चोट पहुंचती है, चुनावी व्यय के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं हो पाती है, जिसे भारतीय चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 पर आधारित नियमों का उल्लंघन माना है। मीडिया को इस प्रकार की रिर्पोट छापने से बचना चाहिए, जिससे लोगों के बीच बैर, घृणा की भावना को बढ़ावा मिलता हो। धार्मिक, जाति या भाषाई अथवा समुदाय के आधार पर बैर न उत्पन्न हो, ऐसी खबरे छापने से बचने की सलाह दी गई है, साथ ही मीडिया को किसी प्रत्याशी के व्यक्तित्व/चरित्र पर कठोर टिप्पणी छापने से बचने के भी निर्देश दिये गये हैं।
उन्होंने प्रत्याशी और पार्टी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करने और प्रत्याशियों की पेशकश को हतोत्साहित करने की अपेक्षा की है। कार्यशाला में अपर निदेशक सूचना डॉ अनिल चंदोला, संयुक्त निदेशक राजेश शर्मा, सूचना अधिकारी बीपी घिल्डियाल एवं मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित थे