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भारत में पोलियो का सिर्फ एक मामला

पोलियो मुक्‍त भारत का एक वर्ष

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नई दिल्ली। भारत ने आज एक साल तक पोलियो मुक्‍त रहने का एक महत्‍वपूर्ण निशान पार कर लिया। इस दौरान पूरे 2011 में पोलियो का सिर्फ एक मामला नजर में आया। यह मामला है दो वर्षीया एक बच्‍ची का जो 13 जनवरी 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के पांचला ब्‍लॉक में पोलियो से ग्रस्‍त पाई गई। पोलियो की रोकथाम के लिए शानदार कोशिशें करने की सराहना करते हुए केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री, गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ‘हम उत्‍साहित और आशापूर्ण हैं, लेकिन साथ ही सतर्क और चौकन्‍ने भी।’
केंद्रीय स्वास्‍थ्य मंत्री ने सावधान किया कि लापरवाही के लिए कोई जगह नहीं हैं और हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अगले तीन वर्षों में पोलियो का पूरी तरह से उन्‍मूलन कर दिया जाये। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि अगर हम इस बात पर विचार करें कि 2009 में दुनियाभर में जितने मामले नजर आये, उसके लगभग आधे यानी 741 पोलियो के मामले भारत में हुए थे, तो यह दो वर्षो की छोटी अवधि में पोलियो रोकथाम की दिशा में एक बडी उपलब्धि है, साथ ही, इस दिशा में भारत ने जो अथक और निरंतर प्रयास किये हैं, उनकी पुष्टि भी हो गई है। भारत ने पूरी दुनिया के सामने इस बात का एक उदाहरण पेश कर दिया है। इस कार्यक्रम के लिए सबसे ऊंचे राजनीतिक स्‍तर से जो वचनबद्धता जाहिर की गयी थी, और संसाधनों के आवंटन और पोलियो से ग्रस्‍त होने की संभावना वाले बच्‍चे तक पहुंचने की जो कोशिशें की गई थीं, वे उसकी असाधारण कार्यनीति तथा सुदृढ़ भागीदारी का परिणाम था।
हर बार जब-जब राष्‍ट्रीय पल्‍स पोलियो टीकाकरण अभियान चलाया गया, इसके हर दौर में 24 लाख वैक्‍सीनेटर, डेढ़ लाख सुपरवाईजर और 20 करोड़ से ज्‍यादा लोगों ने ये सुनिश्चित किया कि 17 करोड़ 20 लाख बच्‍चों को पोलियो की दवा पिला दी जाए, चलती-फिरती टीमों ने रेलवे स्‍टेशनों, बस अड्डों, बाजारों और ऐसे ही स्‍थानों पर जाकर बच्‍चों को दवा पिलाई। हर राउंड में उत्‍तरप्रदेश, बिहार और मुम्‍बई में ही करीब 50 लाख बच्‍चों को चलते-फिरते दलों ने रास्‍ते में पोलियो की दवा पिलाई, साल के बाकी समय के दौरान पोलियो की संभावना वाले राज्‍यों और इलाकों में पोलियो मुक्ति अभियान चलाये गये। भारत ने पल्‍स पोलियो कार्यक्रम पर 12,000 करोड़ रूपये से ज्‍यादा रकम खर्च की है, भारत ने जनवरी 2010 में बाईवेलन्‍ट पोलियो वेक्‍सीन का इस्‍तेमाल शुरू किया था। दुनियाभर में इस वेक्‍सीन की कमी के बावजूद भारत ने घरेलू बाजार से ही सही समय पर यह दवा प्राप्‍त की।
भारत में जिस तरह से पोलियो वायरस पर नजर रखी जा रही है, वह दुनियाभर में सबसे ज्‍यादा संवेदनशील तरीका माना जाता है। देश में 35,325 जगहें तय की गई हैं, जहां एक्‍यूट फ्लेटिस पेरालिसिस मामलों के सैंपल इक्‍टठे किये जाते हैं और बाद में इन्‍हें प्रयोगशालाओं को भेजा जाता है, पिछले कुछ वर्षों में कार्य नीतियां और चुस्‍त बनाई गई हैं। पोलियो उन्‍मूलन सलाहकार समूह की सिफारिशों के अनुसार पोलियो के हर मामले पर कार्रवाई की जा रही है। भारत में जहां इस दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की गई है, वहीं पोलियो का डर अब भी बना हुआ है, हमें ज्‍यादा जागरूक बने रहना है और इस कार्यक्रम को जारी रखना है।

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